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लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन ६२. लोकप्रकाश, 7.117 - ६३. अंगुल प्रमाण क्षेत्र की प्रदेश राशि को तीन अलग-अलग वर्गमूलों में विभाजित कर पहले वर्गमूल
को तीसरे वर्गमूल से गुणा करने पर जितने प्रदेशों का परिणाम आता है वह एक प्रदेशी कहलाता
७५. लापा
६४. लोकप्रकाश, 7.18-20 ६५. लोकप्रकाश 8.96 ६६. लोकप्रकाश, 8.97 ६७. लोकप्रकाश, 8.98-99 ६८. लोकप्रकाश 8.100-101 ६६. लोकप्रकाश, 8.107 ७०, लोकप्रकाश, 8.108-110
लोकप्रकाश, 8.111-112 ७२. लोकप्रकाश, 8.113-114 ७३. लोकप्रकाश, 9.22-29 ७४. प्रज्ञापना सूत्र, भाग 1, पद 3. सूत्र 212, पृष्ठ सं. 215
लोकप्रकाश, 3.1411,
लोकप्रकाश, 4.142 से 145, ७७. लोकप्रकाश, 4.146 और 147, ७८. (क) लोकप्रकाश, 4.149,
(ख) प्रज्ञापना सूत्र, भाग 1, पद 3. सूत्र 213 की व्याख्या में, पृष्ठ 220 लोकप्रकाश, 5.329 से 331, लोकप्रकाश, 5.332 और 333, (क) लोकप्रकाश, 5.334,
(ख) प्रज्ञापना सूत्र, भाग 1, पद 3, सूत्र 214.1, पृष्ठ 215 ६२. (क) लोकप्रकाश, 5.335 से 339,
(ख) प्रज्ञापना सूत्र, प्रमेयबोधिनी टीका भाग 2, पद 3. सूत्र 2. पृष्ठ 22 (क) लोकप्रकाश, 5.345, (ख) प्रज्ञापना सूत्र, प्रमेयबोधिनी टीका, भाग 2, पद 3. सूत्र 2, पृष्ठ 23 और 24 (ग) प्रज्ञापना सूत्र, भाग 1, पद 3. सूत्र 214.2, पृष्ठ 215 (क) लोकप्रकाश, 5.349, पृष्ठ सं. 421 (ख) प्रज्ञापना सूत्र, प्रमेयबोधिनी टीका, भाग 2, पद 3, सूत्र 2, पृष्ठ 24 और 25 (ग) प्रज्ञापना सूत्र, भाग 1, पद 3. सूत्र 214.3. पृष्ठ 216 (क) लोकप्रकाश, 5.351, (ख) प्रज्ञापना सूत्र, भाग 1, पद 3. सूत्र 214.4, पृष्ठ 216
(ग) प्रज्ञापना सूत्र, प्रमेयबोधिनी टीका, भाग 2. पद 3. सूत्र 2, पृष्ठ 25 और 26 १६. (क) लोकप्रकाश, 5.354 तथा 355, पृष्ठ सं. 422
(ख) प्रज्ञापना सूत्र, भाग 1, पद 3. सूत्र 214.5, पृष्ठ 216