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क्षेत्रलोक
खंडुक प्रमाण से लोक का प्रमाण
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सम्पूर्ण लोक कुल १५२०६ खंडुक प्रमाण का है अर्थात् लोक में १५२०६ खंडुक हैं। " खंडुक से तात्पर्य है रज्जु का चतुर्थ अंश जिसकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई समचौरस हाथ के समान बराबर-बराबर होती है । " त्रसनाली के १४ रज्जू में से प्रत्येक एक रज्जू में ४ खंडुक चौड़ाई में और ४ खंडुक लम्बाई में होते हैं। इस प्रकार त्रसनाली ५६ ( १४ x ४) खंडुक ऊँची और ४ खंडुक चौड़ी होती है। १४ रज्जू लोक प्रमाण में खंडुक का विस्तार इस प्रकार है"
14 रज्जू लोक प्रमाण में खंडुक
9.
२.
३.
8.
५.
६.
७.
८.
६.
१०.
११.
१२.
१३.
१४.
चौड़ाई
सबसे नीचे वाले प्रथम रज्जु प्रमाण में
दूसरे रज्जु में
तीसरे रज्जु में
चौथु रज्जु में
पाँचवें रज्जू में
छठे रज्जू में
सातवें रज्जू में
आठवें रज्जू में
नौवें रज्जू में
दसवें रज्जू में
ग्यारहवें रज्जू में
बारहवें रज्जू में
तेरहवें रज्जू में
चौदहवें रज्जू में
ऊर्ध्वलोकादि का नामकरण
(द्रष्टव्य पृष्ठ सं. २८८ )
लम्बाई ४ खंडुक २८ खंडुक
४ खंडुक २६ खंडुक
४ खंडुक २४ खंडु
४ खंडुक २० खंडु
४ खंडुक १६ खंडुक
४ खंडुक १० खंडु
४ खंडुक ४ खंडु
४ खंडुक १० खंडुक
४ खंडुक ३० खंडुक
४ खंडुक ३६ खंडुक
४ खंडुक ३६ खंडुक
४ खंडुक २२ खंडुक
४ खंडुक ३४ खंडु
४ खंडुक १० खंडु
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ऊर्ध्वमध्याधः स्थितत्वाद्वयपदिश्यन्त इत्यमी ।
यद्वोत्कृष्टमध्यहीनपरिणामात्तयोदिताः । ।
लोकप्रकाशकार यह मानते हैं कि लोक के इन तीनों अधोलोक, मध्यलोक और ऊर्ध्वलोक