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जीव-विवेचन (2)
123 मनुष्य को पूर्व के तीन समुद्घात होते हैं।" विकलेन्द्रियों को वेदनादि पूर्व के चार समुद्घात होते हैं।
समुद्घात-यन्त्र समुद्घातों के नाम अधिकारी कितना समय किस कर्मोदय से परिणाम १ | वेदना समुद्घात | सभी संसारी जीव | अन्तर्मुहूर्त | असाता वेदनीय । असातावेदनीय कर्म
कर्मोदय पुद्गलों का नाश | कषाय समुद्घात
चारित्र मोहनीय | कषाय मोहनीय कर्म से कर्म पुद्गलों का
| नाश | मारणान्तिक
आयुष्य कर्म से आयुष्य कर्म समुद्घात
पुद्गलों का नाश ४ | वैक्रिय समघात | नारकी, देव,
वैक्रिय शरीर वैक्रिय शरीर नाम पंचेन्द्रिय तिर्यच
नाम कर्म से | कर्म के पुराने एवं छद्मस्थ
पुद्गलों का नाश मनुष्य
एवं नए का ग्रहण | ५ | तैजस समुद्घात
| तैजस शरीर नाम तैजस शरीर ज्योतिष्क देव,
कर्म से | नामकर्म पुद्गलों नारकी, पंचेन्द्रिय
का नाश तिर्यच व छद्मस्थ
मनुष्या आहारक | १४ पूर्वधारी
| आहारक शरीर आहारक शरीर समुद्घात मनुष्या
नामकर्म से नाम कर्म के
पुद्गलों का नाश ७ | केवलि समुद्घात | केवलज्ञानी मनुष्य | आठ समय । आयुष्य के | आयुष्य के साथ
अतिरिक्त तीन तीन अघाती कर्म | अघाती कर्मों के | पुद्गलों का नाशा कारण
व्यन्तर व
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भविष्य में भोग्य कर्म पुद्गलों को उदीरणा पूर्वक उदय में लाकर भोगना और क्षय करना समुद्घात है। लोकप्रकाशकार ने वेदनादि सात प्रकार के समुद्घात में केवलिसमुद्घात का विस्तृत उल्लेख किया है।