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जीव-विवेचन (2)
बिना भावलेश्या का स्थान नहीं बन सकता। विविध गतियों और जातियों में लेश्याओं का विवेचन द्रव्यलेश्या की अपेक्षा से है, क्योंकि भावलेश्या की अपेक्षा नारक और देवता में
सभी लेश्याओं का अस्तित्व स्वीकार किया जाता है। ६. द्रव्यलेश्या में होने वाले परिणमन में एक लेश्या के पुद्गलों का दूसरी लेश्या के पुद्गलों में
परस्पर संक्रमण नहीं होता है जबकि एक ही लेश्या के पुद्गलों में न्यूनाधिकता होती है। यथा कृष्ण लेश्या के परिणमन में उसी लेश्या के पुद्गल की संख्या कम ज्यादा होती है। परन्तु कृष्णलेश्या, नीललेश्या में परिवर्तित नहीं होती है। द्रव्यलेश्या-परिणमन से विपरीत भावलेश्या-परिणमन में लेश्याओं का परस्पर संक्रमण होता है। पुद्गल की न्यूनाधिकता इसमें नहीं होती क्योंकि यह पौद्गलिक नहीं है। भावों की विशुद्धता और अविशुद्धता से भाव लेश्याएँ परस्पर परिवर्तित होती रहती है।
सा च षोढ़ा कृष्ण-नील-कापोतसंज्ञितास्तथा।
तेजोलेश्या पद्मलेश्या शुक्ललेश्येति नामतः ।।" लेश्या के छह भेद हैं- कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या। परिणाम, वर्ण, रस, गंध, स्पर्श, शुभ, गति, गुणस्थान, भाव, अवगाहना, अल्पबहुत्व आदि विभिन्न दृष्टिकोणों से लेश्याओं का विवेचन आगम-साहित्य में मिलता है। इन्हीं दृष्टियों का द्रव्य लेश्या और भावलेश्या के रूप में भी वर्गीकरण किया जा सकता है। यह वर्गीकरण इस प्रकार होगाद्रव्यलेश्या- नाम, वर्ण, रस, गंध, स्पर्श, परिणाम, प्रदेश, अवगाहना, स्थिति, स्थान, अल्पबहुत्व के आधार पर द्रव्य लेश्या का विवेचन किया जाता है। भावलेश्या- शुद्धत्व, प्रशस्तत्व, संक्लिष्टत्व, परिमाण, गति, अल्पबहुत्व, स्थान के आधार से भावलेश्या का निरूपण किया जाता है।
___ हमारे आत्म-परिणामों के असंख्य प्रकार होने से लेश्या भी असंख्य हो सकती हैं फिर भी लेश्याओं के छह भेद नैगम नय की अपेक्षा से किए जाते हैं। लेश्या के इन प्रचलित छह भेदों के अतिरिक्त 'संयोगजा' नामक सातवीं लेश्या भी स्वीकार की गई है। उत्तराध्ययन सूत्र के चूर्णिकार आचार्य जयसिंह सूरि ने इस विषय पर विशेष प्रकाश डाला है। उनके अनुसार यह लेश्या शरीर की छाया के रूप में है। औदारिक, औदारिक मिश्र, वैक्रिय, वैक्रिय मिश्र, आहारक, आहारक मिश्र और कार्मण ये जीव-शरीर के सात प्रकार हैं जिन्हें काययोग कहा जाता है। इन सभी काययोग के शरीरों की छाया भी संयोगजा नाम की सातवीं लेश्या में समाविष्ट होती है।"