________________
51.
लोक-स्वरूप एवं जीव-विवेचन (1) हस्वगति होती है।
तृतीय परिणाम ‘संस्थान' से तात्पर्य है आकार। पुद्गल का आकार पाँच प्रकार का होता है- १. परिमण्डल २. वृत्त ३. त्रिकोण ४. चतुष्कोण और ५. आयत।" मंडलाकार परमाणुओं के समूह का वलय मध्य में से रिक्त होने पर पुद्गल का यह संस्थान 'परिमण्डल' संस्थान है, कुलाल चक्र के समान मंडलाकार परमाणु समूह का वलय मध्य में से भरा हो तब यह पुद्गलसमूह 'वृत्त' संस्थान कहलाता है। सिंघाड़े के समान त्रिकोण आकार में भरे पुद्गलों का समूह त्रिकोणसंस्थान कहा जाता है। कुंभिका समान चतुर्कोणाकार में भरे पुद्गलों का समूह चतुष्कोणसंस्थान कहलाता है। दण्डवत् आयताकार में व्याप्त पुद्गल समूह आयतसंस्थान कहलाता है। प्रथम चार संस्थान के घन और प्रतर दो-दो भेद हैं और पंचम आयत संस्थान के श्रेणि, धन एवं प्रतर तीन भेद होते हैं।
चतुर्थ पुद्गल परिणाम 'भेद' पाँच प्रकार का है- १. खंड भेद २. प्रतरभेद ३. चूर्णिका भेद ४. अनुतटिका भेद और ५. उत्करिका भेदा लोहे के टुकड़े के समान पुद्गलों का भेद 'खंडभेद', भोजपत्र और अभ्रक पत्र के समान पुद्गल भेद 'प्रतरभेद', फेंके हुए मृत्तिका पिण्ड के समान पुद्गल भेद 'चूर्णिका भेद', इक्षु की त्वचा-छाल आदि के समान पुद्गल का भेद 'अनुतटिका भेद' तथा पपड़ी उखाड़ने के समान पुद्गल समूह का भेद 'उत्करिका भेद' कहलाता है।" ___पुद्गल परिणाम के पाँच वर्ण इस प्रकार हैं१. काजल के समान कृष्णा २. नील के समान नीला ३. हिंगुल के समान अरुण (लाल) ४. सुवर्ण के समान पीत ५. शंख के समान श्वेता
पुद्गलों का पुष्प आदि के समान सुगन्धित एवं लहसुन आदि के समान दुर्गन्धित दो प्रकार का गन्ध परिणाम होता है।३२
पुद्गलों का रस परिणाम तीक्ष्ण, कटु, काषाय, अम्ल और मधु पाँच प्रकार का होता है।"
पुद्गल का स्पर्श परिणाम आठ प्रकार का है- उष्ण, शीत, मृदु, कर्कश, स्निग्ध, रुक्ष, गुरु और लघु। पुद्गल का अग्नि के समान उष्ण स्पर्श परिणाम, हिमवत् शीत स्पर्श परिणाम, पिच्छ समान मृदु स्पर्श परिणाम, पाषाणवत् कर्कश (कठोर) स्पर्शपरिणाम, घृतादिवत् स्निग्ध स्पर्शपरिणाम, राख आदि के समान रुक्ष स्पर्श परिणाम, वज्रादिवत् गुरु स्पर्श परिणाम तथा आक वृक्ष की रुई के