Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
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निरर्थक वार्तालाप में, इधर-उधर की विकथा में अभिनन्दन योग्य व्यक्तित्व ध्यतीत नहीं करती। आपकी प्रतिभा, प्रज्ञा, मेधा और स्मरण-शक्ति तीक्ष्ण हैं, आपका चिंतन-शरद
-उदय मुनि 'जैन सिद्धान्ताचार्य' ke कालीन चाँदनी के समान निर्मल है, ज्ञान की अगाध
यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हई कि महासती गंगा हैं, वैराग्य जिनका अंगरक्षक है, संयम जिनका जीवन साथी हैं, आपने साम्प्रदायिक संकीर्णताओं।
श्री कुसुमवती जी म. के संयमी जीवन के ५० वर्ष की दीवारों की तोड़कर संघीय एकता के
पूर्ण होने पर उनके अभिनन्दनार्थ 'कुसुम अभिनंदन महामन्त्रोच्चार में अपना भी स्वर मिलाकर संगठन
ग्रन्थ' का प्रकाशन हो रहा है। की आवाज को बुलन्द किया। जंगल में मंगल कर संयमी जीवन एक प्रेरणास्पद एवं सार्थकजीवन देने वाले आपके चरणों ने अब तक अमरगच्छ को होता है। ऐसे पथ को सांसारिकता के बन्धनों से साधिकाओं में सबसे अधिक हजारों मील की मुक्त होकर अल्पायु में ही अपना कर जो मानव पदयात्रा करके भारत के विभिन्न अंचलों में दीर्घ समय तक संयम एवं धर्माराधना में लीन भगवान महावीर की वाणी का प्रसार और प्रचार रहते हैं, उनका सत्कार-अभिनन्दन कर समाज करके जन-जन तक पहुँचाया है, विद्वेष की आग कृतार्थ हो जाता है। महासती जी म. सा. नेk भड़कती हो, ऐसे अवसर पर भी आप शान्ति से मात्र बारह वर्ष की अल्पायु में दीक्षित होकर विदुषी काम लेती हैं, आपके जीवन का मुख्य ध्येय है महासती श्री सोहन कुवर जी म. एवं गुरुदेव श्री (Simple living and high thinking) सादा उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. सा. के सुसान्निध्य जीवन उच्च विचार । आपके जीवन में आचार, में विशद् अध्ययन चिन्तन, मनन, ज्ञानार्जन किया विचार और उच्चार की त्रिवेणी सदा एक रूप, एवं धर्म प्रचार-प्रसार हित अनेक प्रान्तों में पैदल एक रस होकर बहती हैं, वद्ध अवस्था होते हुए भी विहार कर भवीजनों को धर्मदेशना प्रदान की आप मन से पूर्णतः स्वस्थ, उत्साही, प्रयत्नशील और इस प्रकार एक विदुषी, अध्ययनशीला महादृढ़ मनोबली हैं। आयु से वृद्ध जरूर हैं पर युवा
सती के रूप में समाज में अपने ज्ञान-ध्यान, संयमशक्ति से आगे हैं । धर्मसाधना आपका जीवन लक्ष्य
- साधना की सुगन्ध फैलाई। वस्तुतः ऐसे व्यक्तित्व हैं, दृढ़निष्ठा आपका प्रगति-पथ हैं, विवेक और अनुकरणीय, पूजनीय एवं अभिनन्दन योग्य ही 11 विचार आपके मार्गदर्शक हैं। यश प्रतिष्ठा मान
होते हैं । शासन देव महासती जी को दीर्घ संयमी सम्मान आपकी अनुगामिनी हैं। आप में युवा जैसा जीवन प्रदान करे, इन्हीं शुभ भावों के साथ। जोश व वद्धा जैसा होश है। आप में बालक जैसी सरलता युवा जैसी संकल्पशक्ति और साहस तथा वृद्ध जैसा गहन अनुभव है, आप एक में अनेक व अनेक
सारद सलिलं व सद्ध हियया. में एक हैं । आपके मंगलमय दीक्षा के ५० पावन बसंत
विहग इव विप्पमुक्का.... त्याग वैराग्य के साथ व्यतीत होने पर आपका श्रद्धा वसंधरा इव सव्व फास विसहा... से अभिनन्दन हैं। आपके सान्निध्य में आपकी १००वीं दीक्षा जयन्ती का सौभाग्य संघ को प्राप्त हो इसी
--मुनिजनों का जीवन-शरदकालीन नदी के
जल की तरह निर्मल, पक्षी की भांति प्रतिबन्धमंगल पुनीत पावन शुभ भावना के साथ !
रहित और पृथ्वी की भांति सहनशीलता की मूर्ति तुम जिओ हजारों साल,
होता है। ___ हर साल के दिन हो पचास हजार !!
ANEO
प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चना
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0 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ