Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
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शुभ कामना : अभिनन्दन डॉ. बह्ममित्र अवस्थी
०प० जनार्दनराय नागर (महा महोपाध्याय एस. के. योग इन्स्टीट्युट, दिल्ली)
(उपकुलपति)
राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि आप महासती कुसुमवती जी के अभिनन्दन की व्यवस्था जन शासन की महिमा और गरिमा साध्वीरत्न कर रही हैं एवं एक अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशित कर कुसुमवतीजी को उनके संयम साधना के ५४वें वर्ष | रही हैं। वस्तुतः यह अभिनन्दन महासती जी के में प्रवेश करने पर अभिनन्दन ग्रन्थ अर्पित करने की 22 भौतिक स्वरूप का न होकर उनकी साधना का, प्रेरणापन्न योजना है। उनकी तपश्चर्या का अभिनन्दन है। वस्तुतः आज सच तो यह है मैं जैन शासन तथा दर्शन का जब समाज में भौतिकता के मूल्यों की प्रतिष्ठा साधक नहीं हूँ और न ही रहा । मैं तो जिज्ञासु ) बढ़ती जा रही है, उस समय साधना और तपश्चर्या व्यक्ति हूँ तथा भारतीय दर्शन के जीवन विषयक |KC का यह अभिनन्दन मूल्य का अभिनन्दन है, आध्या- आधारभूत तत्वों के लिये कभी-कभी जिज्ञासा करता त्मिकता का अभिनन्दन है। इस प्रकार से यह कार्य हूँ । अतः मैं यही सोचता हूँ कि महिमामयी समाज में आध्यात्मिक मूल्यों की स्थापना का कुसुमवतीजी के श्रीचरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित प्रयास है, भौतिकता से नैतिकता की ओर साधना करूं। और तपश्चर्या की ओर बढ़ना और समाज को आपने मुझे याद किया, यह मेरा परम सौभाग्य बढ़ाने का स्तुत्य प्रयास है और मैं इस प्रयास का है। हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ एवं इस पावन प्रयास की सफलता के लिए अपनी मंगल कामनाएँ प्रेषित
पुखराजमल एस० लूंकड़ करता हूँ।
अध्यक्ष
अ. भा. श्वे. स्था. जैन कान्फ्रेंस ए
यह जानकर प्रसन्नता हुई कि विदुषी साध्वी डॉ. विनोद कुमार त्रिवेदी श्रीकुसुमवतीजी संयमी जीवन के पचास वर्ष पूर्ण कर
(एम. ए. पी-एच. डी. चुकी हैं। दीक्षा की अर्ध शताब्दी अपने आप में एक 19 समस्तीपुर, बिहार) उपलब्धि है । संयमसाधना के साथ-साथ विभिन्न
भाषाओं का ज्ञान और साधना आपकी विशेषता जैन धर्म की महनीय विभूति परम साध्वी रत्न है। कुसुमवती जी का आदर्श जीवन धार्मिक एवं नैतिक व्यक्तिशः मेरा आपसे सम्पर्क नहीं हुआ है किन्तु अवदान की उज्ज्वल परम्परा का अनुगमन करते जैसी जानकारी मिली है उसके अनुसार आप एक हए दिव्यता की पराकाष्ठा पर पहुँचा हुआ एक ओजस्वी वक्ता, प्रभावशाली व्यक्तित्व एवं साधना आध्यात्मिक और आदर्श जीवन है। उनसे सम्ब- सम्पन्न साध्वी हैं। दीक्षा की स्वर्ण जयंती के अवसर न्धित अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन निश्चय ही एक पर मैं उनके प्रति आदर व्यक्त करते हुए शासन देव महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कार्य है।
से प्रार्थना करता हूँ कि आप संयममय जीवन का ) ____ इस ग्रन्थ की सफलता हेतु मेरी हार्दिक शुभ- एक शतक पूर्ण करते हुए जन-जन को धर्म की कामना स्वीकार कीजिए।
प्रेरणा दें। प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चना
- साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ 0
6.0
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