Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur

View full book text
Previous | Next

Page 647
________________ लाला फलचन्द जी जैन लाला पवनकुमार जी जैन कांदला कांदला जैन समाज में अनेक श्रावक ऐसे हैं जो सदा धार्मिक, सामाजिक कार्यों में अग्रगण्य हैं, उन्हीं श्रावकों की लड़ी की कड़ी में लाला फूलचन्दजी जैन एवं आपश्री के सुपुत्र लाला पवनकुमार जैन का नाम भी विवत है, सुप्रसिद्ध कांधला (उत्तर प्रदेश) नगर में आपका जन्म हुआ है। आप बहुत ही उदारमना, महानुभाव हैं, आपका विश्वास विज्ञापन में नहीं अपितु कार्य करने में रहा है, आपकी ही सद्प्रेरणा से परमविदुषी महासती श्री कुसुमवतीजी म० की सेवा में साध्वी श्री गरिमाजी एवं रुचिकाजी की जैन दीक्षाएं कांधला नगरी में हुई तब से लेकर प्रतिवर्ष आप सद्गुरुणीजी म० के श्रीचरणों में दर्शन सेवा का लाभ उठा रहे हैं । लाला फूलचन्दजी के सुपुत्र का नाम लाला पवन कुमार जैन है । लाला पवनकुमार जी की धर्मपत्नी भी एक सुश्राविका है । आपके २ सुपुत्र है। ___आपका सम्पूर्ण परिवार देव गुरु धर्म पर अटूट आस्थावान है । प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में आपने स्वेच्छा से गुरु-भक्ति से प्रेरित होकर उदारतापूर्वक सहयोग प्रदान किया है। आपके कर्म का नाम है - लाला फूलचन्द पवनकुमार जैन सराफ पोस्ट-कांधला जिला-मुजफ्फरनगर (उ० प्र०) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

Loading...

Page Navigation
1 ... 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664