Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur

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Page 663
________________ Jain Education International ... मैं नहीं कह सकती, इस अभिनन्दन ग्रंथ का आयोजन क्यों, कैसे हो गया ? यह पूर्व योजनाबद्ध हुआ या सहज ही स्वतः श्रद्धाभाववश ? परन्तु इतना निश्चित है कि इसकी पूर्णता/सम्पन्नता ने मेरे तथा मेरी सहयोगिनी साध्वियों के हृदय को एक नया विश्वास दिया है, एक दृढ़ आस्था जगाई है। और एक सात्विक गौरव से उत्फुल्ल किया है कि सच्ची श्रद्धा और सच्चा संकल्प वह सब कुछ कर सकता है, जिससे जमाना असंभव या कठिन कहता है। पूज्य श्रद्धेया सद्गुरुणी श्री कुसुमवती जी महाराज के गुण-मंडित श्रद्धेय व्यक्तित्व के प्रति जन-जन में इतनी गहरी श्रद्धा और . सद्भावना है. इसका अनुमान पहले किया नहीं जा सकता था, परन्तु अभिनन्दन ग्रंथ के आयोजन से श्रद्धेय मुनिवरों, पूज्य साध्वीजनों, विद्वानों एवं श्रावक वर्ग के जी श्रद्धाचना स्वरूप विपुल आशीर्वचन, संदेश, लेख आदि प्राप्त हुए, वह सब एक आलेख बन गया, श्रद्धा का उर्ज्जस्वल जीवन्त स्मारक बन गया । मुझे विश्वास है, अभिनन्दन ग्रन्थों की माला में यह ग्रन्थ अपनी नैसर्गिक सुषमा एवं सुरभि से सबको ही कुछ विशिष्ट अनुभूति कराता रहेगा, युग-युग तक.. For Private & Personal Use Only -साध्वी दिव्यप्रभा org

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