Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur

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Page 646
________________ श्रीमान् प्रतापमलजी सा. सुराणा मु. कोठारीया (राज.) धर्मपत्नी श्रीमती धापुबाई मु. कोठारीया (राज.) उदयपुर जिले के कोठारिया (नाथद्वारा) ग्राम में जन्मे श्रीमान् प्रतापसिंह जी सा सुराणा जैन समाज के विख्यात दानवीर पुरुष हैं। आपने अपने प्रबल प्रयास से हर क्षेत्र में विक है। आपके ४ सपूत्र हैं जो पिताश्री के आज्ञा में चलते हुए अपने व्यापार व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं, आपका बम्बई में व्यवसाय है । सादगी व मिलनसारी गुण होने से आपने बहुत शीघ्र ही समाज व व्यापारिक क्षेत्र में अपना स्थान बना लिया है। जैन धर्म के प्रति आपकी गहरी रुचि व श्रद्धा है । आप अनेक धार्मिक, सामाजिक कार्यों में सदा मुक्त हस्त से सहयोग देते रहते हैं। परम विदुषी साध्वी रत्न श्री कुसुमवतीजी म० के आप संसारपक्षीय चाचाजी हैं। प्रस्तुत अभिनन्दन ग्रन्थ में आपने स्वेच्छा से उदारतापूर्वक सहयोग प्रदान किया है। आपश्री की धर्मपत्नी श्रीमती धापुबाई भी एक सद्गृहस्थ महिला हैं । आपके सुपुत्रों के नाम-श्रीमान् मीठालालजी, श्रीमान् ओंकारसिंहजी, नवलसिंहजी, हिम्मतसिंहजी हैं। आपके ४ सपूत्रों के अलावा ३ सुत्रियाँ हैं जिनके नाम केसरबाई, कुन्ताबाई और सुमित्राबाई हैं, इस प्रकार आपका भरा-पूरा परिवार धर्म व समाज के कार्य में अगुवा है। ( ४ ) www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only Jain Education International

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