Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur

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Page 645
________________ स्व० धर्ममूर्ति विद्यावती जैन भारतवर्ष में पुरुषों की भाँति नारियों ने भी तप त्याग, संयम व समाज के कार्य में अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान किया है, उन्हीं धर्ममूर्ति सन्नारियों में धर्मपरायणा उदारमना स्वर्गीया विद्यावती देवी का नाम भी सदा स्मरण रहेगा। पंजाब प्रान्त के मलोटमण्डी में जन्म लेकर आपने अबोहर मण्डी में लाला खुशीराम जैन के साथ पाणिग्रहण किया, प्रारम्भ से ही धर्म संस्कार से संस्कारित होने के कारण आपके कारण सारा परिवार धर्म रंग में रंग गया, आपके दो सुपुत्र श्री भगवानदासजी एवं श्री बजरंगदासजी हैं जो माता के अन्तिम क्षणों तक सेवा में सदा बने रहे । भगवानदासजी की धर्मपत्नि का नाम लाजवन्ती एवं बजरंगदासजी की धर्मपत्नि का नाम मोहनदेवी है । आपने दो पुत्रियों को भी जन्म दिया जो सुरेशकान्ता एवं दूसरी जैन साध्वी बनकर आत्मकल्याण कर रही है जिनका नाम विदुषी साध्वी श्री शिमलाजी है । मातेश्वरी विद्यावती के ४ पौत्र हैं, जिनके नाम दिनेश जैन, प्रवीण जैन, अमन जैन एवं रमेश जैन हैं । दिनेशजी की धर्मपत्नि सुनीतादेवी, प्रवीणजी की धर्मपत्नि अमितादेवी एवं रमेशजी की धर्मपत्नि सुधादेवी है । पौत्रों की तरह आपकी सुपौत्रियाँ भी प्रमिला, मंजू, संजू, सुनीता एवं निरुकुमारी भी धार्मिक संस्कारों से रंगी हुई हैं। आपने इस भरे-पूरे परिवार को दि २२ मई, १९८९ को छोड़कर स्वर्ग सिधार गयीं, पर अपने सुसंस्कारों से घर-परिवार समाज को संस्कारित करके गयी जिसे सदा स्मरण रखा जायेगा । आपके सुपुत्रों ने धार्मिक क्षेत्र के साथ-साथ देश के व्यापारिक क्षेत्र में जो यश एवं नाम कमाया है वह आज भी चमक रहा है । आपकी सुप्रसिद्ध धागे को मील उदयपुर में है जो श्रुतिसेन्थेटिक्स लोहिरा के नाम से विश्रत है । साथ ही आपकी फर्म का नाम है दौलतराम छोगमल जैन पोस्ट - अबोहर मण्डी जिला - फिरोजपुर (पंजाब) प्रस्तुत ग्रन्थ में मातेश्वरी ने उदारतापूर्वक सहयोग प्रदान किया है । Jain Education International ( ३ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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