Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
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उपाध्याय श्री अमरचन्दजी म. सा.-कविश्री दिल्ली का यशस्वी चातुर्मास सम्पन्न कर उत्तरप्रदेश CH अमरचन्द जी म. सा. से भी जयपुर, दिल्ली, की ओर विहार किया। ग्रामानुग्राम विहार करते
अजमेर आदि स्थानों पर मिलना हुआ और ज्ञान हुए आप पू० श्री काशीराम जी म० की दीक्षा स्थली चर्चा हुई।
कांधला पधारी । यहां आपका और श्री सुदर्शनलाल उपाध्याय श्री फलचन्द जी म. सा.-महासती
जी म० सा० का स्नेह सद्भावनापूर्व श्री कुसुमवती जी म. सा. जब पंजाब की ओर
दोनों के साथ-साथ प्रवचन भी हुए । दोनों एक-दूसरे विचरण कर रही थीं, तब लुधियाना में उपाध्याय
से अत्यधिक प्रभावित हुए। It श्री फूलचन्द जी म. सा. से मिलना हआ। वे वहाँ जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म. सा०-महा24 स्थिरवास में थे। बड़े ही स्नेह से चर्चा-वार्ता की। सती श्री कुसमवतीजी म.सा. का जैन दिवाकर श्री (ERY! वे आपके वैदुष्य से बहुत प्रभावित हुए। उनके चौथमल जी म. सा० से भी अनेक बार मिलना
साथ ही कवि चूडामणि श्री चन्दन मुनिजी म. सा. हुआ। उनके दर्शन किये और प्रवचन भी सुने । भी विराजते थे । आपके प्रवचन को वे उसी समय अच्छा परिचय, स्नेह सद्भावना रही । विचार चर्चा कविताबद्ध करके जनता के सम्मुख प्रस्तुत कर देते भी की। थे। श्री फूलचन्द जी म. सा. से आगमिक विषयों आचार्य श्री हस्तीमल जी म० सा०–महासती पर भी चर्चा हुई थी। उन्होंने जो प्रश्न पूछे थे श्री कसमवती जी म० ने आचार्य श्री हस्तीमल जी उनके आपने उत्तर दिये थे।
म० के दर्शन भी किये और प्रवचन भी उत्तर भारतीय प्रवर्तक श्ली शांतिस्वरूप जी म० चर्चा का सुअवसर भी मिला। किशनगढ़, अजमेर सा०-महासती श्री कुमुमवती जी म. सा. उत्तर आदि स्थानों पर उनकी जन्म जयन्ती समारोहों में भारत में विचरण करती हई अपनी शिष्याओं सम्मिलित होने का अवसर भी मिला। साथ मेरठ पधारी । मेरठ में पूज्य श्री शान्तिस्वरूप आचार्य श्री नानालालजी म. सा०–सन् १९८१ जी म.सा० दीर्घकाल से स्थिरवास थे। श्री शान्ति- में आचार्य श्री नानालाल जी म० सा० का वषावास स्वरूपजीम० के शान्त प्रशान्त जीवन से महासतीजी उदयपर में था। महासती श्री कमवता जा माता अत्यधिक प्रभावित ह । वहा श्री सघ के आग्रह से का वर्षावास भी श्रमण संघ की ओर से उदयपर म
महासतीजी के प्रवचन भी हए। मेरठ से आपकी ही था। क्षमापर्व के दिन महासती श्री आचाया बा भावना हस्तिनापुर की ओर जाने की थी किन्तु श्री के समीप क्षमापना करने पधारा। अपार जन SIM शान्तिस्वरूप जी म० के आग्रह के कारण यहाँ कुछ मेदिनी के बीच आचार्यश्री ने अपना प्रवचन राककर अधिक दिनों तक रुकना पड़ा।
आपसे स्नेह सद्व्यवहार के साथ क्षमत क्षमापना श्री शान्तिस्वरूप जी महाराज प्रतिदिन कई किया। घण्टों का मौन रखते थे। तीन बजे बाद वे सबसे उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. सा.-महाजा मिलने, चर्चा आदि का समय बेते थे। जब तक आप सती श्री कसमवती म. सा० अमरगच्छ की प्रमुख
वहाँ ठहरी तब तक आगमिक प्रश्नोत्तर एवं अन्य धर्म महासतियों में हैं। वर्तमान में राजस्थान केसरी चर्चा हुई। यहीं पर श्री सुमतिप्रकाश जी म० सा० उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. सा. की आज्ञा में एवं श्री विशालमुनिजी आदि से भी मिलना हुआ। विचरण कर रही हैं । महासती जी ने अजमेर, मदन
विद्वद्रत्न श्री सुदर्शनमुनि जी म० साल-महा- गंज और पाली में उपाध्याय श्री जी के सान्निध्य में सती श्री कुसुमवतीजी म० ने अपना चांदनी चौक, वर्षावास किये और ज्ञानाभ्यास भी किया । आगमों
द्वितीय खण्ड : जीवन-दर्शन
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40 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ
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