Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
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का ज्ञानाभ्यास भी आपके सान्निध्य में ही प्राप्त प्रवर्तक श्री पन्नालाल जी म.सा.- महासतीजी किया।
ने प्रवर्तक श्री पन्नालाल जी म. सा. के भी दर्शन उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म. सा.-उपाचार्य किये। उन्होंने महासतीजी के वैदुष्य, मधुरवक्तृत्व, श्री देवेन्द्र मुनि जी म. सा. से आपका बाल्यकाल से एवं मिलनसारिता आदि से प्रभावित होकर अपने ही विशिष्ट परिचय रहा है। इसका कारण यह है क्षेत्र विजयनगर श्री संघ को चातुर्मास कराने के कि उपाचार्य श्री जी की बहिन महासती श्री पुष्प- लिये भी कहा। महासती जी ने आपकी भावना को वती जी म. सा. एवं महासती श्री कुसुमवती जी मान देकर वहाँ तर्मास भी किया। म. सा. दोनों गुरु-बहिनें हैं अतः उपाचार्य श्री
मूर्तिपूजक आचार्य श्री कांति सागर जी म. सा. आपको बहिन महाराज के समान ही आदर एवं
-अजमेर के स्थानक के विशाल पंडाल में महा- IAS स्नेह देते हैं। उपाचार्य श्री एक महान् चिंतक एवं
सती जी का एवं आचार्य श्री कांति सागरजी म. का, मनीषी सन्तरत्न हैं। आपसे कई बार अनेक विषयों पर चिंतन-मनन और चर्चाएं हुईं।
साथ-साथ प्रवचन हआ। महासती जी ने आचार्य मरुधरकेसरी श्री मिश्रीमलजी म. सा.-महा
श्री का स्वागत किया । आचार्य श्री ने महासती जी कुसुमवती जी म. सा. का मरुधर केसरी जी म.
___ का गुणानुवाद किया। सा. से भी अनेक बार मिलन हआ। अनेक विषयों मृतिपूजक खरतरगच्छीय साध्वी श्री विच-IKC पर चर्चा भी होती थी। महासती जी के ज्ञानाभ्यास क्षण श्री जी म. सा.- केकड़ी चातुर्मास सम्पन्न कर ! से आप भी प्रभावित थे।
महासती श्री कुसुमवती जी म. जयपुर की ओर युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी म. सा.-महा- पधार रही थीं। बीच में मालपुरा गांव में ठहरना सती श्री कुसुमवती म. सा. ने स्व० युवाचार्य श्री हुआ। मालपुरा में मूर्तिपूजक समुदाय की सुप्रसिद्ध | जी के ब्यावर में दर्शन किये थे। वे शान्त, दान्त साध्वी जी श्री विचक्षण श्री जी म. भी विराज रही का और गुण गम्भीर थे। महासती जी आपके प्रवचन थीं। दोनों के बाजार में सामूहिक प्रवचन हुए । में तथा सेवा में पधारती थीं। महासती जी के सरल इस आयोजन से जनता बहुत प्रभावित हुई। स्वभाव एवं वैदुष्य से युवाचार्य श्री बहुत प्रसन्न और प्रभावित थे। वे आपको समुचित आदर भी
तेरापंथी संत-सतियाँ जी-कई बार तेरापंथी देते थे।
' संघ के साधु साध्वियों के साथ मिलना हुआ और युवाचार्य श्री डॉ. शिवमुनि जी म. सा.-महा- साथ-साथ प्रवचन भी हुए। सती श्री कुसुमवतीजी म सा. का युवाचार्य श्री डॉ० विश्व मैत्री दिवस के अवसर पर कई बार ५ शिवमुनि जी से अजमेर के समीप तीर्थराज पुष्कर सभी सम्प्रदाय के सन्त सातियों के साथ आपके
में मिलना हुआ था। वहां साथ-साथ प्रवचन भी प्रवचन हुए। आप संकीर्ण विचारों से मुक्त हैं ।70) हुए और ज्ञानचर्चा भी हुई थी।
आपका कहना है कि हम साधारण गृहस्थ से प्रेम/kE प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी म.सा.-प्रवर्तक श्री स्नेह से बोल सकते हैं तो किसी भी सम्प्रदाय के जी के दर्शनों का लाभ अनेक बार मिला। आपसे साधु-साध्वियों से बोलने में हिचकिचाहट क्यों ?
महासती जी को ज्ञान चर्चा भी हुई। आपश्री के व इन विचारों से आपके विशाल दृष्टिकोण का पता|| AS र महासती जी के बीच सद्भावनापूर्ण व्यवहार है। चलता है।
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द्वितीय खण्ड: जीवन-दर्शन
0000 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ 6
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