Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
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युग की मीरा को नमन मेरा
-गीतकार रमेश चैतन्य, बोम्बे मेवाड़ धरा पर सात सितम्बर पच्चीस को नव कुसुम खिला। गुरुदेव पुष्कर मुनि जी से, जीवन में अध्यात्म मिला ।। सती सोहन जी से प्रेरित हो दीक्षा का व्रत ठान लिया। नजर कवर था जन्म नाम दीक्षा ने नाम कुसूम दिया ।। कैलाश कुंवर माता जो भी पुत्री कुसुम संग दीक्षा ली। कैसा संयोग मिला मां पुत्री ने संग में ही शिक्षा ली। 'दिव्य' गरिमा 'अनुपमा' व निरुपमा नित साथ रहे । आज्ञाकारिणी बन गुरुणी की, नित चरणों में ध्यान रहे। सहज सरल व्यक्तित्व आपका अधरों पर रहती मुस्कान । शहर-पाहर और गाँव-गाँव सद् उपदेशों का किया बखान ।। सत्य, शील, और सदाचार पर बढ़ने का आह्वान किया। 'अध्यात्मयोगिनी' 'प्रवचन भूषण' से समाज ने मान दिया ।। ऐसी गरुणी महासती का हम गायेंगे नित ही गुणगान । जो भी अन्तर में भाव उठे, उन भावों से हम करें बखान ।। विशाल-हृदय व दूर दृष्टि है महासती को नमन मेरा। युगों-युगों तक अमर रहे, युग की मीरा को नमन मेरा ।।
-0अध्यात्मयोगिनी...'शत-शत वन्दन
. -अनुराधा जैन, बी. ए., उदयपुर जीवन के सच्चे लक्ष्य का आदर्श आप हैं,
है 'कुसुम' कुसुम सी खिली जग में तो आप हैं । सारे सुखों को त्याग के सुख को ग्रहण किया,
'अध्यात्मयोगिनी' की एक मिसाल आप हैं। अनेक भाषा ज्ञान जिन तत्व की ज्ञाता,
अध्ययन, मनन, चिन्तन को तो त्रिवेणी आप हैं। आया निकट जो आपके बस आपका हुआ,
विचलित हुए मनुज का तो आलोक आप हैं । मेवाड़ धरा धन्य हुई आपको पाकर,
संसार के दल-दल में खिले कमल आप हैं। शेरनी-सा ओज रहा जिनकी वाणी में,
प्रवचन • भूषण इसलिए कहलाई आप हैं । दीक्षा पचास वर्ष पे शत - शत नमन करू',
अभिनन्दनीय और वन्दनीय आप हैं।
प्रथम खण्ड: श्रद्धार्चना
Os
साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ 6000
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