Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
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कुसुम-चालीसा
-साध्वी श्री चारित्रप्रभा जी
साध्य सिद्धि वरदायिनी करुणाकृति अत्यन्त । श्री कुसुम महासती जी जय जय हो जयवन्त । नाम सदा जिनका सुखकारी । गुण गण मण्डित महिमा भारी ।। १ ।। जो भी चरण शरण में आया । उसने ही जीवन फल पाया ।।२।। सम्वत् शुभ उन्नीसो व्यासी। षष्ठी कृष्णा आश्विन मासी ।। ३ ।। जन्म स्थान उदयपुर प्यारा । मात-पिता को अति सुख कारा ॥ ४ ॥ श्री गणेश लाल कोठारी। 'देलवाडा' के श्रावक भारी ॥ ५॥ धर्म पत्नी श्री सोहन बाई।
ओस वंश सबको सुखदाई ॥ ६ ॥ मंगल जन्म हुआ पुत्री का। पुर परिजन सब ही को नीका ॥७॥ घर घर मंगल बटी बधाई। मानो लक्ष्मी तनु धर आई ॥ ८ ॥ देव देवि सम नर और नारी। मुदित नजर हर्षित अति भारी ॥६॥ धर्मवद्ध श्रावक जन आये। सबने आशीर्वचन सुनाये ॥ १० ॥ शुभ संतति मिलती सदा पूर्व पुण्य अनुसार । 'नजर कुंवर' के नाम से किया नाम संस्कार ।। वृद्धि पाय सब विधि सुकुमारी । कल्प वेलि सम प्रिय मन हारी ।। ११ ।। सुखमय अपना समय बिताये । विधि को ये सुख नहीं सुहाये ।। १२ ।। वर्ष चार कछु बीत न पाये। पिताश्री स्वर्ग लोक सिधाये ।। १३ ।।
पत्नी के हिय हुआ अंधियारा । बिछुड़ गया गृहि धर्म सहारा ॥ १४ ।। दुख पहाड असमय में टूटा। क्षण में जीवन साथी छूटा ।। १५ ।। ज्यों त्यों अपना मन समझाया। समझ अनित्य जगत की माया॥१६॥ माँ के भाव पुत्री मन भाये ।। जग असार छोड़न उमगाये ।। १७ ।। माता दर्शन ज्ञान समाना। हुई चारित्र सुता गुण खाना ।। १८ ।। कर्म रोग बन तब हो आये। नजर कवर पर नजर लगाये ॥ १६ ॥ किये उपचार अनेक प्रकारा।
मिटा न रोग दुखी परिवारा ।। २० ।। माता ने प्रण ले लिया यदि पुत्री होय निरोग । इसे संग लेकर समुद धारू संयम योग ।।
सुख का वेदनीय जब आया। हुई निरोग सुता की काया ॥ २१ ।। मां पुत्री ने हर्ष मनाये । मानो भाग्य उदय हो आये ॥ २२ ॥ आतम हित अवसर जब आवे । तब ही समकित रत्न सुहावे ॥ २३ ॥ चरण शरण आये गुरुणी के। प्रगट विचार किये सब जी के ॥ २४ ॥ सोहन कॅवर महासती भारी। दोनों की मति पै बलिहारी ।। २५ ।। 'जहा सुहं' गुरु मंत्र सुनाया। मानो रंक राज पद पाया ।। २६ ॥ हुई दीक्षा की सब तैय्यारी। मुण्डित हुई पुत्री महतारी ॥ २७ ॥ 'देलवाडा' के गली गलियारे । हुए वैराग्य निछावर सारे ।। २८ ।।
सस
प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चना
साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ
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