Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
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गुरुणी गुणगाथा
-साध्वी दर्शनप्रभा एम. ए., पी-एच. डी. गुरुणी जी की महिमा का नहीं पार किसी ने पाया है
जो भी चरण-शरण में आया बेड़ा पार लगाया है." कुसुमवती जी नाम है इनका सबको मंगलकारी है उग्र विहारी उच्च विचारी समता के भण्डारी है जिसने इनकी सेवा की है, उसका भाग्य सवाया है जो भी चरण-शरण में आया बेडा पार लगाया है....
बालवृद्ध सब नर और नारी इनकी महिमा गाते हैं एक बार जो दर्शन करते कभी भूल नहीं पाते हैं इनका जीवन दुःखी जगत के लिए शान्ति की छाया है
जो भी चरण-शरण में आया बेडा पार लगाया है श्रमण धर्म पालन करने में सचमुच चन्दनबाला है गुण वर्णन मैं करूं कहाँ तक अमर गुणों की माला है जीवन जिसका अतिशय पावन भक्तों के मन भाया है जो भी चरण-शरण में आया बेड़ा पार लगाया है."
सत्य-अहिंसा दया-धर्म की इनमें ज्योति समाई है त्याग-भाव वैराग्य भाव की इनकी बड़ी बड़ाई है सारे जग में जैन-धर्म का डंका खूब बजाया है
जो भी चरण-शरण में आया बेड़ा पार लगाया है। महावीर के वीर मार्ग पर चलने का संकल्प लिया आत्मोन्नति के शुद्ध-भाव से साध्वी जीवन कल्प किया अनेकांत सिद्धान्त न्याय का जीवन में अपनाया है जो भी चरण-शरण में आया बेड़ा पार लगाया है."
सच्ची जिनवाणी माता की सेवा का व्रत धार लिया झठी जग की माया का जीवन से बोझ उतार दिया आगम वाणी के प्रचार को अपना ध्येय बनाया है
जो भो चरण-शरण में आया बेड़ा पार लगाया है। चरणों में आई 'दर्शना' इसका बेड़ा पार करो दया करो गुरुणी जी मेरे जीवन का उद्धार करो कृपा आपकी पाकर मैंने जीवन का फल पाया है जो भी चरण-शरण में आया बेड़ा पार लगाया है""
दीक्षा-स्वर्ण-जयन्ती पर मैं श्रद्धा भेट चढ़ाऊँ क्या ? सोच-सोच मन रह जाता है मैं सेवा में लाऊँ क्या ? नमस्कार वन्दन लो मेरा यही समझ में आया है। जो भी चरण-शरण में आया बेड़ा पार लगाया है...
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प्रथम खण्ड : श्रद्धार्चना CMO साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ
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