Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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गा० ५८ ]
अत्थपरूवणा गया ।
उक्कडगाए परूवरणा
* उकस्सो बंधो विसेसाहियो ।
$ २०. केत्तियमेत्तेण ? रूत्राहियजहण्णाइच्छावणामेत्तेण । एवमोकडणासंकमस्स
* उक्कडगाए परूवणा ।
६ २१. एतो उक्कडगाए अचरिमफद्दयं अहिकीरदि त्ति भणिदं होइ ।
* चरिमफद्दयं ण उक्कड्डिज्जदि ।
९ २२. कुदो ? उवरि अइच्छावणा-णिक्खेवाणमसंभवादो ।
* दुचरिमफद्दयं पि ए उक्कडिज्जदि ।
२३. एत्थ कारणम इच्छावणा-णिक्खे वाणमसंभवो चैत्र वत्तव्यो ।
* एवमणंताणि फद्दयाणि ओसकिऊण तं फहयमुकडिज्जदि ।
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विशेषार्थ - एक ऐसा जीव है जिसने उत्कृष्ट अनुभागबन्ध किया है उसके बाद एक वलि कालके जाने पर यदि वह अन्तिम स्पर्धककी अन्तिम वर्गणाका अपकर्षण करता है तो उस समय उस अपकर्पित अनुभागका जघन्य प्रतिस्थापनाको छोड़कर शेष सब अनुभाग में निक्षेप होगा । यहाँ पर एक तो प्रतिस्थापनामात्र अनुभागमें इसका निक्षेप नहीं हुआ। दूसरे स्त्रयंका अपकर्षण किया है इसलिए एक इसमें भी इसका निक्षेप नहीं हुआ । इस प्रकार रूपाधिक प्रतिस्थापनामात्र अनुभागको छोड़ कर शेष सब अनुभाग उत्कृष्ट निक्षेपका विषय है । अब इसकी यदि उत्कृष्ट अनुभागकाण्डकसे तुलना करते हैं तो वह उत्कृष्ट अनुभागकाण्डकसे विशेष अधिक ही प्राप्त होता है । कितना विशेष अधिक होता है इसका निर्देश टीकाकारने स्वयं किया है । उसका आशय यह है कि पूरे अनुभागमें से उत्कृष्ट अनुभागकाण्डकको और रूपाधिक जघन्य प्रतिस्थापनामात्र अनुभागको कम कर दो। इस प्रकार कम करनेसे जो शेष रहे वह अधिकका प्रमाण है । उत्कृष्ट अनुभाग काण्डक उत्कृष्ट निक्षेप इतना बड़ा होता है ।
* उससे उत्कृष्ट बन्ध विशेष अधिक है ।
२०. कितना अधिक है ? रूपाधिक जघन्य प्रतिस्थापनामात्र अधिक है ।
इस प्रकार अपकर्षणसंक्रमकी अर्थप्ररूपणा समाप्त हुई ।
* उत्कर्षणकी प्ररूपणा ।
§ २१. आगे उत्कर्षणकी अपेक्षा अचरम स्पर्धकका अधिकार है यह उक्त कथनका तात्पर्य है । * अन्तिम स्पर्धकका उत्कर्षण नहीं होता ।
२२. क्योंकि अन्तिम स्पर्धा कके ऊपर अतिस्थापना और निक्षेपकी प्राप्ति सम्भव नहीं है । * द्विचरण स्पर्धकका भी उत्कर्षण नहीं होता ।
$ २३. यहाँ पर भी प्रतिस्थापना और निक्षेपकी प्राप्ति सम्भव नहीं है यही कारण कहना चाहिए ।
* इस प्रकार अनन्त स्पर्धक नीचे आकर जो स्पर्धक स्थित है उसका उत्कर्षण हो सकता है।
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