Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[बन्धगो६ १८. चरिमवग्गणपरिहीणुकस्साणुभागकंडयपमाणतादो । तं कथं ? उकस्साणुभागखंडए आगाइदे दुचरिमादिहेट्ठिमफालीसु अंतोमुहुत्तमेतीसु सव्वत्थ जहण्णाइच्छावणा चेव पुव्वुत्तपरिमाणा होइ, तकाले वाघादाभावादो। पुणो चरिमफालिपदणसमकाल चरिमफद्दयचरिमवग्गणाए उकस्साइच्छावणा होइ, णिरुद्धचरिमवग्गणं मोत्तणाणुभागकंडयस्सेव सव्वस्स तत्थाइच्छावणासरूवेण परिणामदसणादो। एदेण कारणेण उक्कस्साइच्छावणा उकस्साणुभागखंडयादो एगवग्गणोमेत्तेण ऊणिया होइ। तं पि तत्तोएयवग्गणामेत्तेणब्भहियमिदि सिद्ध।
ॐ उकस्सणिक्खेवो विसेसाहियो।
१६. उकस्साणुभागं बंधियूणावलियादीदस्स चरिमफद्दयचरिमवग्गणाए ओकडिजमाणाए रूवाहियजहण्णाइच्छावणापरिहीणो सयो चेवाणुभागपत्थारो उकस्सणिक्खेवसरूवेण लब्भइ । तदो घादिदावसेसम्मि रूवाहियजहण्णाइच्छावणामेत्तं सोहिय सुद्धसेसमेत्तेण उक्कस्साणुभागकंडयादो उक्कस्सणिक्खेवो विसेसाहिओ ति घेतव्यो ।
.६१८. क्योंकि उत्कृष्ट प्रतिस्थापना अन्तिम वर्गणासे न्यून उत्कृष्ट अनुभागकाण्डकप्रमाण होती है।
शंका-सो कैसे ?
समाधान-उकृष्ट अनुभागकाण्डकके पतनके समय अन्तर्मुहूर्तप्रमाण द्विचरम आदि अधस्तन फालियों में सर्वत्र पूर्वोक्तप्रमाण जघन्य अतिस्थापना ही होती है, क्योंकि उस समय व्याघातका अभाव है। परन्तु अन्तिम फालिके पतनके समय अन्तिम स्पर्धककी अन्तिम वर्गणाकी उत्कृष्ट अतिस्थापना होती है, क्योंकि उस समय विवक्षित अन्तिम वर्गणाको छोड़कर शेष समस्त अनुभागकाण्डकका ही वहाँ पर अतिस्थापनारूपसे परिणमन देखा जाता है। इस कारणसे उत्कृष्ट अतिस्थापना उत्कृष्ट अनुभागकाण्डकसे एक वर्गणमात्र हीन होती है और वह अनुभागकाण्डक भी उस उत्कृष्ट अतिस्थापनासे एक वर्गामात्र अधिक होता है यह सिद्ध हुआ। - .
विशेषार्थ-उत्कृष्ट अतिस्थापना उत्कृष्ट अनुभागकाण्डककी अन्तिम फालिके पतनके समय अन्तिम वर्गणाकी ही होती है। चूंकि उत्कृष्ट अनुभागकाण्डकमें यह अन्तिम फालिकी अन्तिम वर्गणा भी सम्मिलित है, अतः यहाँ पर उत्कृष्ट अतिस्थापनाको उत्कृष्ट अनुभागकाण्डकमें से अन्तिम वर्गणाको कम कर देने पर जो शेष रहे तत्प्रमाण बतलाया है। कारण यह है कि जब अन्तिम फालिका पतन होता है तब उसका निक्षेप उत्कृष्ट अनुभागकाण्डकको छोड़ कर होता है, अन्यथा उसका सर्वथा अभाव नहीं हो सकता, इसलिए सूत्रमें उत्कृष्ट अनुभागकाण्डक जितना बड़ा होता है उसमेंसे विवक्षित अन्तिम वर्गणाको कम कर देने पर जो शेष रहे उतना उत्कृष्ट अतिस्थापनाका प्रमाण होता है यह कहा है।
* उससे उत्कृष्ट निक्षेप विशेष अधिक है ।
६ १६. उत्कृष्ट अनुभागका वध करके एक श्रावलिके बाद अन्तिम स्पर्धककी अन्तिम वर्गणाका अपकर्षण होने पर एक अधिक जघन्य अतिस्थापनासे हीन सबका सब अनुभाग प्रस्तार उत्कृष्ट निक्षेपरूपसे उपलब्ध होता है, इसलिए जितने बड़े अनुभागकाण्डकका घात किया है उसके सिवा जो शेष है उसमेंसे रूपाधिक जघन्य अतिस्थापनामात्र अनुभागको घटा कर जो शेष रहे उतना उत्कृष्ट अनुभागकाण्डकसे उत्कृष्ट निक्षेप अधिक होता है ऐसा यहाँ पर ग्रहण करना चाहिए।