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कल्प सूत्र
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उदर में रख देती है । तब पुरवासी अत्यन्त दुःख के साथ कहने लगते हैं 'हाय बेचारी देवकी का यह गर्भ नष्ट हो गया । २५
आज का युग वैज्ञानिक युग है। वैज्ञानिकों ने अनेक स्थलों पर यह परीक्षण कर प्रमाणित कर दिया है कि गर्भ-परिवर्तन असम्भव नही है । इस सम्बन्ध में 'गुजरात वर्नाक्यूलर सोसायटी' द्वारा प्रकाशित 'जीवन-विज्ञान' ( पृष्ठ ४३ ) में एक वर्णन प्रकाशित हुआ है, वह द्रष्टव्य है ।
'एक अमरीकन डाक्टर को एक भाटिया स्त्री के पेट का आपरेशन करना था । समस्या यह थी कि स्त्री गर्भवती थी । अत डाक्टर ने एक गर्भिणी बकरी का पेट चीरकर उसके पेट का बच्चा बिजली-चालित एक डिब्बे में रखा और उस स्त्री के पेट का बच्चा बकरी के पेट में । आपरेशन कर चुकने के बाद डाक्टर ने पुनः स्त्री का बच्चा स्त्री के पेट में और बकरी का बच्चा बकरी के पेट में रख दिया । कालान्तर में स्त्री और बकरी ने जिन बच्चों को जन्म दिया वे स्वस्थ और स्वाभाविक रहे ।'
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(३) स्त्रीतीर्थ - तीर्थङ्कर पुरुष ही होते है, १२६ स्त्री नही, परन्तु प्रस्तुत अवसर्पिणी काल में उन्नीसवें तीर्थङ्कर मल्लि भगवती स्त्री हुई हैं । २७ मल्लि भगवती का जीव पूर्व भव में अपर विदेह के सलिलावती विजय में महाबल राजा था । उन्होंने अपने छह मित्रों सहित दीक्षा ग्रहण की। महाबल मुनि के अन्तर्मानस में यह विचार उबुद्ध हुआ कि यहाँ मैं अपने छहों साथियों का नेता हूँ । यदि मैं इनके साथ ही समान जप-तप करता रहूंगा तो भविष्य मे इनसे ज्येष्ठ व श्रेष्ठ नही बन सकूंगा । इस प्रकार विचार कर महाबल मुनि पारणा के समय बहानाबाजी कर उग्र तप करने लगे । तपादि के प्रभाव से तीर्थंकर नाम कर्म का उपार्जन किया ।१२९ और माया के कारण सम्यक्त्व से च्युत होकर स्त्री वेद का । जिससे वे स्त्री तीर्थङ्कर हुए । ' यह भी एक आश्चर्य है ।
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(४) अभावित परिषद् - तीर्थङ्कर का प्रथम प्रवचन इतना प्रभाव पूर्ण