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में प्रवेश किए हुए निग्रन्थ और निम्रन्थिनियों को रह रहकर थोड़ी-थोड़ी देर से वर्षा गिर रही हो तब बगीचे में अथवा उपाश्रय में, अथवा विकटगृह में जहां गांव के लोग एकत्र होकर बैठते है, उस सभा भवन में अथवा वृक्ष के नीचे जाना कल्पता है ।
उपर्युक्त स्थानों पर जाने के पश्चात् वहां यदि पहुँचने के पूर्व ही तैयार किया हुआ चावलओदन मिलता हो तो निर्ग्रन्थ और निम्रन्थिनी ग्रहण कर सकते हैं। उनके पहुँचने के पश्चात् पीछे से तैयार किया हुआ भिलिंगसूप२७ अर्थात् मसूर की दाल, उड़द की दाल या तेल वाला सूप मिलता हो तो उन्हें चावलओदन लेना तो कल्पता है पर भिलिंगसूप लेना नहीं कल्पता ।।
वहाँ यदि श्रमणों के पहुँचने के पूर्व ही तैयार किया हुआ भिलिंगसूप मिलता हो और चावलओदन उनके पहुंचने के पश्चात् पीछे से तैयार किया हुआ प्राप्त होता हो, तो उन्हें भिलिंगसूप तो लेना कल्पता है पर चावलओदन लेना नहीं कल्पता।
वहां पर पहुँचने के पूर्व ही यदि दोनों वस्तुएं तैयार की हुई मिलती हों तो उन्हें दोनों ही वस्तुएं लेनी कल्पती हैं।
वहां पर पहुँचने के पूर्व यदि दोनों ही वस्तुएँ प्रारम्भ से ही तैयार की हई नहीं मिलती हैं, और उनके पहुंचने के पश्चात् तैयार की हुई प्राप्त होती हैं तो उन्हें दोनों ही वस्तुएं लेना नहीं कल्पता।
उनके पहुंचने के पूर्व जो वस्तुएँ तैयार की हुई हैं, उन्हें लेना कल्पता है, पर पहुंचने के पश्चात् तैयार की हुई वस्तु लेना नहीं कल्पता । मूल :
__ वासावासं पज्जोसवियाणं निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविहस्स निगिझिय निगिन्मिय बुटिकाए निवएज्जा कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ