Book Title: Kalpasutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Amar Jain Agam Shodh Samsthan
View full book text
________________
(ख) देवारपुप्पिया ! परिचतसयलसंगो हं संपयं, तुमं च दारिद्दोबदुओ । इमस्स मज्ऽसावसत्तवासस्स अद्ध घेतून गच्छसि ॥
ता
२०२. (क) आवश्यक मल० प० २६६ (ख) महावीर० प्र० ५, पृ० १४४ (ग) त्रिषष्टि० १०/३/१४
२०३. महावीर चरियं ५। प० १५८
२०४ नंदिवर्नारदो दीणारलकनमेगं वत्यस्स मुल्लं दाविऊण सबहुमाण.... ।
२०५. ( क ) आवश्यक भाष्य० गा० १११
- चउप्पन महापुरिसचरियं, पृ० २७३, आचार्यशीलाक
(ख) आवश्यक मलयगिरिवृत्ति पत्र २६७ (ग) त्रिषष्टि० १०।३।१५
२०६. वोर - विहार मीमासा, विजयेन्द्र सूरि पृ० २३
२०७ (क) आवश्यक मलय० पत्र २६७
(ख) त्रिषष्टि० १०।३।२५
२०८ (क) सबको भणइ भयवं । तुज्झ उवसग्ग बहुलं । अह वारस वरिसाणि तुज्झ वेयावच्चं करेमि । (ख) महावीर चरिय प्र० ५ ५० १४५।१ (ग) त्रिषष्टि० १०1३३२८
२७
(ग) महावीर चरियं, गुण० प्र० ५ प० १४५-१४६ २११. संबच्छरेण भिक्खा खोयलद्धा उसभेण लोयणाहेण । सेसेहि बीय दिवसे, लद्धाओ पढमभिक्खाओ || उसभस्स पढमभिक्खा, खोयरसो आसि लोगणाहस्स । सेसाणं परमण्णं अमियरसरसोवमं आसि ||
- महावीर वरियं प्र० ५ पृ० १५८
-आवश्यक मलय० प० २६७
२०६. नो खलु देविदा । एवं भूय वा भवइ वा भविस्सइ वा जं णं अरहता देविदाण वा असुरिदाण वा uter केवलनाणमुप्पाइसु उप्पायंति उप्पाइस्संत्ति वा तवं वा करिसु वा करंति वा करिस्संति वा, अरहंता सएण उट्ठाणच लवी रियपुरिसक्कारप रक्कमेणं केवलनाणमुप्पाइंसु उप्पायंति उप्पा इस्सति - आवश्यक नियुक्ति पृ० २६७
वा ।
(ख) त्रिषष्टि १० ३०-३० १० २०१
(ग) महावीर चरियं प्र० ५ १० १४५
२१० (क) आवश्यक नियुक्ति गा० ४६१ प० २६७ (ख) आवश्यक मलय० वृ० २६८।१
- समवायाङ्ग, सूत्र १५७ (संपादक - मुनि कन्हैयालालजी)

Page Navigation
1 ... 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474