Book Title: Kalpasutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Amar Jain Agam Shodh Samsthan
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पत्ता णियलबद्धा, मुडियसिरा रोयमाणी मन्मत्तट्ठिया, एवं कप्पति, सेसं ण कप्पति, कालो
य पोसबहल पाडिवो-आवश्यक चूणि प्र० भा०प० ३१६-३१७ (ख) आवश्यक मलय० वृ०प० २६४ (न) त्रिषष्टि० १०।४।४७८.४८१
(घ) महावीर चरियं० प्र०७५० २४१ ३११. (क) आवश्यक मलय• वृत्ति २६५
(ख) आवश्यक नियुक्ति० गा० ५१६ ३१२. (क) आव० म० वृ० २६६
(ख) महावीर चरियं गुणचन्द्र, प्र० ७ ५० २४६३१
(ग) त्रिषष्टि०१।४।५७२-५७६ ३१३ (क) महावीर चरिय गुण० ७।२४७
(ख) त्रिषष्टि ० १०४।६०६ ३१४. (क) चंपा वासावास जक्खिदो साइदत्त पुच्छा य ।
वागरण दुह पएसण पच्चक्खाणे अ दुविहे अ॥-आवश्यक नियुक्ति गा० ५२२, १० २६७ (ख) को ह्यत्मा ? भगवानाह-योऽहमित्यभिमन्यते । स कीदृशः ? सूक्ष्मोऽसो, कि तत् सूक्ष्म!,
यदिन्द्रिय-ग्रहीतुन शक्यते इति, तथा कि त ते पदेसणयं? कि पच्चक्खाणं? भगवानाह साइदत्ता । दुविहं पदेसणग-धम्मियं मम्मियं वा, पदेसणगं नाम उपदेश; पच्चक्खाणे दुविहे-मूलपच्चक्खाणे उत्तर पञ्चक्खाणे य, एएहि पएहि तस्स उवगयं ।
-बआवश्यक मलय० २६७ ३१५ (क) महावीर चरियं० ७।२४८
(ख) त्रिषष्टि० १०१४६६१८-६४६ ३१६. (क) सम्वेसु किर उवसग्गेसु दुव्विसहा कतरे ?
करपूयणासीयं कालचक्कं एतं चेव सल्लं कढिज्जतं । बहवा जहन्नगाण उवरि कडपूयणासीतं मज्झिमाण काल चक्कं, उच्कोसगाण उवरि सल्लुद्धरणं ॥
-आवश्यक पूणि प्र० भा०प० ३२२ (ख) महावीर चरियं ७.२५०। ३१७. एवं वा विहरमाणस्स जे केइ उवसग्गा समुपज्जति दिव्वावा माणुस्सा वा, तेरिच्छिया वा ते
सम्बे उवसग्गे समुप्पन्ने समाणे अणाउले अध्यहिए अदीणमाणसे तिविहमण-वयण कायगुत्ते सम्म सहइ खमइ, तितिक्खइ अहियासेइ ।
-आचाराग० १।१५।१०१६ सुत्तागमे पृ० १३ (ख) सूरो संगामसीसे वा, संखुडे तत्थ से महावीरे । पडिसेवमाणे फरसाई अचले भगवं रीइत्था ।
-आचारांग रा३३१३

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