Book Title: Kalpasutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Amar Jain Agam Shodh Samsthan

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Page 434
________________ ३१८. (क) उग्गं च लबोकम्म, विसेसओ बद्धमाणस्स । -आवश्यक नियुक्ति गा० २४० (ख) सूत्र कृतांग १६ ३१६. तिन्नि सए दिवसाणं अउणापन्ने य पारणाकालो -आवश्यक नियुक्ति गा०५३४ ३२०. आवश्यक नियुक्ति गा० ५२६ से ५३५ ३२१. छठेण एगया मुळे अदुवा अट्टमेण दसमेणं । दुवालसमेण एगया भुजे पेहमाणे समाहिअपडिन्ने -आचाराग १ ३२१. विजयावत्तस्स चेतियस्स । विजयावत्तं गामेणं, वियावत्तं वा' व्यावृत्तं चेतियत्तणासो जिण्णजाणमित्यर्थः। -कल्प सूत्र चूणि सू० १२० ३२२. (क) बारस चेव य वासा मासा छच्चेव अदमासो य । वीरवरस्स भगवओ एसो छउमत्थपरियाओ। -आवश्यक नियुक्ति गा० ५३६ (ख) उत्तर पुराण, गुणचन्द्र ७४॥३४८ से ३५२ ३२३. आवश्यक मलयगिरि वृत्ति प्र० भा० ५० ३००।१ ३२४. मगहा गोव्वर गामे जाया तिण्णेव गोयमसगोत्ता। कोल्लागसभिवेसे जा ओ विअत्तो सुइम्मो य ।। ६४३।। मोरीयसभिवेसे दो भायरो मंडमोरिया जाया । अपलो य कोसलाए महिलाए बकंपिनो जाओ ॥६४४॥ तुंगीयसन्निवेसे मेयम्जो वच्छभूमिए जाओ। भगबंपियप्पभासो, रायगिहे गणहरो जाओं ॥६४५।। --विशेषावश्यक भाष्य ३२५. (क) मावश्यक वृत्ति । (ख) वाजसनेयी संहिता ४०-५ में भी यही वाक्य है। (ग) तदेजति तन्नेजति, तद्दूरे तदन्तिके । तदन्तरस्य सर्वस्य तदु सर्वस्यास्य बाह्यतः -ईशावास्योनिषद् में यह पाठ प्राप्त होता है (च) पुरुष एवेदं सर्व यद्भूतं यच्च भाव्यम् उतामृतत्वस्येशनो यदन्नाति रोहति -वाजसनेयी संहिता ३२-२ -श्वेताश्वतरोपनिषद २४९ -पुरुषसूक्त, इन सभी में यह पाठ प्राप्त हैं। ३२६. (क) आवश्यक टीका से उद्धृत (ख) सत्येन लभ्यस्तपसा ह्येष ब्रह्मचर्येण नित्यम्, अन्तः शरीरे ज्योतिर्मयो हि शुभ्रो य पश्यन्ति यतवः क्षीणदोषाः। ---मुण्डकोपनिषद् १४०

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