Book Title: Kalpasutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Amar Jain Agam Shodh Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 436
________________ ३० G ३३५. भगवती सूत्र शतक : उ०३२, स० ३७८ ३३९. सूत्रकृतांग अत २. म० ७ सू० ८१२ ३४०. तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते बंदई, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता चाउज्जायामो धम्माओ पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । -भगवती शत० १ उ०६ सू०७६ ३४१. भगवती शतक० २, उद्दे० १० A (क) औपपातिक टीका सू० ४, १८२- १६५ (ख) भगवती श० १४, उद्दे०८ भगवती सूत्र श० २, उ० ५ भगवती सूत्र शत० ११ उ०६ भगवती सूत्र शत० उ०१० भगवतो सूत्र शतक २ उ० ५ भगवती शतक १२, उ०२ भगवती शतक १८ उद्दे० ३ H भगवती सूत्र शतक १ उद्दे० ६ ३४२. संजय काम्पिल्यपुर का राजा था। इसका विस्तृत वर्णन उत्तराध्ययन १८ नेमिचन्द्रीय टीका मे आया है। A 'सेय' राजा आमलकल्पा नगरी का स्वामी था। इसका विस्तृत वर्णन रायपसेणी (बेचरदास जी द्वारा सपादित) सूत्र १० मे आया है । B शिव हस्तिनापुर के राजा थे। भगवती सूत्र शतक १। उ० ६ मे विस्तार से इसका वर्णन मिलता है। C शंख मथुग नगरी का राजा था। विस्तृत वर्णन देखें उत्तराध्याय १२ नेमिचन्द्रीय टीका ३४३. समणेणं भगवया महावीरेणं अठ्ठ रायणो मुडे भवेत्ता अगाराओ अणगारिअ पव्वाविया, तं०वीरंगय वीरजमे संजयए, णिज्जए य । रायग्सिी सेयसिवे उदायणे तह संखे-कासिबद्धणे -स्थानाङ्ग, स्थान ८ सू० ७८८ ३४४. (क) ज्ञातृ धर्म कथा अ० १ (ख) दशाश्रुत स्कंध १ (ग) आवश्यक चूणि, त्रिषिप्टि शलाका० आदि में श्रेणिक के जीवन का विस्तृत वर्णन भाता है। ३४५. अन्तकृत दशा ३४६. त्रिषष्टि० १०॥१०॥१३६-१४८ पत्र १३४-२३५ ३४७. त्रिषष्टि० १०.१०८४ ३४८. सूत्र कृताङ्ग टीका श्रु० २ ० ६ ५० १३६३१ ३४६. उत्तराध्ययन अ० १२ ३५० अन्तकृत् दशा १ ३५१. (क) सो चेडको सावओ -आवश्यक पूणि, उत्तराद प० १६४ (ख) चेटकस्तु श्रावको -त्रिषष्टि. १०।६।१८८, १०७७-~-२

Loading...

Page Navigation
1 ... 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474