Book Title: Kalpasutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Amar Jain Agam Shodh Samsthan
View full book text
________________
४
हत्थी हत्यिणियाओ पिसाअए घोररुव वग्यो य । थेरो थेरी सूमो आगच्छइ पक्कणो अ तहा ।। खरवाय कलंकलिया, कालचक्कं तहेव य । पामा इयमुक्सग्गे, वीसइमे होति अणुलोमे ।। सामाणियदेविद्धि देवो दाएइ सो विमाणगओ।
भणई वरेह महरिसि ! निप्फत्तो सरगमोक्खाणं ।। -बावश्यक नियुक्ति गा० ५०२ से ५०५ २६५. आवश्यक नियुक्ति० गा० ५०६ से ५०७ २६६. (क) आवश्यक नियुक्ति० गा० ५००
ख) मावश्यक मलय० प० २६१ २९७ (क) आवश्यक नियुक्ति गा० ५०६
(ख) आवश्यक मलय० ३० प० २६२ २६८. आव०नि० गा० ५१०, आव० म० वृ० २६२ २६६. (क) महावीर चरियं, प्र० ७ प० २३०
(ख) बावश्यक मल० प० २६२ ३००. (क) आ० नि० गा० ५११-(ख) महा० चरि० प्र०७५० २३० ३०१. आव०नि० गा० ५१२ ३०२. महावीर चरियं प्र० ७ पृ० २३१। (ख) त्रिषष्टि० १०।४।३०२ ३०३. (क) आवश्यक नियुक्ति० गा० ५११
(ख) त्रिषष्टि० १०४।३१६-३२० ३०४. आवश्यक नियुक्ति गा० ५ ३०५. जिनेश्वर सूरि कृत कथाकोष ३०६. (क) त्रिषष्टि १०।४।३४६ से ३५८
(ख) महावीर चरियं० प्र० ७ गा० १४ ५० २३३ ३०७. (क) आवश्यक नियुक्ति० गा० ५१७
(ख) त्रिषष्टि० १०॥४॥३७२ ३०८. (क) भगवती सूत्र शतक ३, उद्दे० २
(ख) देखिए कल्पसूत्र आश्चर्य वर्णन ३०९. (क) आवश्यक नियुक्ति० गा. ५१७-५१८
(ब) आवश्यक मलय० वृ० प० २६४ ३१०. (क) सामी य इमं एतारूवं अभिग्गहं अभिगेण्हति चउन्विहं दवतो, ४ दव्वतो कुमासे सुप्पकोणेणं,
खित्तयो एलुग विक्खंभइत्ता, कालो नियत्तेसु भिक्खायरेसु भावतो जदि रायधूया दासत्तणं

Page Navigation
1 ... 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474