Book Title: Kalpasutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Amar Jain Agam Shodh Samsthan

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Page 424
________________ (ग) कौटिलीय अर्थशास्त्र २१३७-पृ० १०३ (घ) मनुस्मृति ८।१३५ भट्टमेधातिथि का भाष्य पृ० ६१८ १६०. आवश्यक मलयगिरिवृति, पत्र २६१ १६१. (क) आवश्यक भाष्य गा० १०६ प० २६५ (ख) आवश्यक मलयगिरिवृत्ति, प० २६५ (ग) मलिना : कुटिला मुग्धैः पूज्यास्त्याज्या मुमुक्ष भिः । केशाः क्लेशसमास्तेन यूना मूलात्समुद्धृताः उत्तर पुराण, पर्व ७४ श्लोक ३०७ १६२. काऊण नमोक्कार, सिद्धाणमभिग्गहं तु सो गिण्हे। सव्व मेऽकरणिज्ज, पावंति चरित्तमारूढो ।। -आवश्यक भाष्य गा० १०६ १६३. (क) तिहिं नाणेहि समग्गा, तित्थयरा जाव होंति गिहवासो। पडिवन्नमि चरित्ते, चउनाणी जाव छउमत्था ॥ ~आवश्यक भाष्य गा० ११० (ख) उत्तरपुराण, ५० ७४ श्लोक ३१२ पृ. ४६४ १६४. वारस वासाई वोसटुकाए चियत्तदेहे जे केइ उपसग्गा समुप्पज्जति तं जहा-दिवा व माणुस्मा वा तेरिच्छिया वा-ते सव्वे उवसग्गे समुप्पन्ने समाणे सम्म सहिस्सामि खमिस्सामि अहियासइस्सामि। -आचागग श्रुत २ अ० २३ प० ३६१।२ १६५. एक्को भगवं वीरो पासो मल्लि यतिहि तिहि सएहि । भगवंपि वासुपुज्जो छहि पुरिसमएहि णिक्खतो ।। उग्गाणं भोगाणं राइण्णाणं य खत्तियाणं य । चउहि सहस्सेहिं उसभा सेसा उ महस्म परिवारा॥ -ममवायाग, पृ० १०६१ (घासी०) १६६. संबच्छरं साहिय मास, जंण रिक्कासि वत्थं भगवं । अचेलए तओ चाइ, त वामिरिज्ज वत्थमणगारे ।। -आचागग ११४ १९७. (क) आवश्यक मलयगिरिवृत्ति । (ख) महावीर चरिय, गुणचन्द्र प्र. ४ पृ० १४२॥? (ग) त्रिषष्टि०१०।३२ १६८ (क) महावीर चग्यिं गुण० प्र० ५ गा० ४ पृ० १४३ (ख) त्रिपष्टि० १०१३३ १९६. मावश्यक मलयगिरिवृनि प० २६६ (ख) महावीर चरियं गुणचन्द्र प्र० ५५० १४३३१ (ग) त्रिषष्टि० १०।३।६ २००. (क) महावीर चरियं गुण० १४३।२।१४४।१ (ख) त्रिषष्टि १०।३।८ (ग) महावीर चरिय प० १४४।१ २०१. (क) ताहे सामिणा तस्स देवदूसस्स अखं दिन्नं । -बाव० मल०प०२६६

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