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समाचारी : मिक्षाचरीकल्प : आठ सूक्ष्म
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तद्दव्वसमाणवन्नए नामं पण्णत्ते, जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाव पडिलेहियव्वे भवति से तं पणगसुहुमे २ ॥ २६७॥
अर्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! वह पनक सूक्ष्म क्या है ?
उत्तर - अत्यन्त बारीक जो साधारण नेत्रों से न देखी जा सके वैसी लीलन फूलन ( सेवाल ) पनक सूक्ष्म है । पनक सूक्ष्म के पाँच प्रकार बताये हैं, जैसे -- (१) कृष्ण पनक, (२) नीली पनक, (३) लाल पनक, (४) पीली पनक और ( ५ ) श्वेत पनक । तात्पर्य यह है कि लीलन - फूलन, फुगी या सेवाल, जो अत्यन्त बारीक होती है, वस्तु के साथ मिली होने के कारण, उस जैसे रंग की होती है, अत: वह शीघ्र दिखलाई नहीं देती है । अतएव छद्मस्थ निर्ग्रन्थ और निर्ग्रथिनी को सम्यक् प्रकार से जानना चाहिए, देखना चाहिए और उसकी प्रतिलेखना करना चाहिए। यह है पनक सूक्ष्म की व्याख्या ।
मूल :
से किं तं बीयसुहुमे ? बीयसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - किण्हे जाव सुकिल्ले, अत्थि बीयसहुमे कण्णियासमाणवन्नए नामं पण्णत्ते, जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाव पडिलेहियव्वे भवइ, से त्तं बीयसुहुमे ३ ॥ २६८ ॥
अर्थ प्रश्न हे भगवन् ! बीज सूक्ष्म क्या है ?
उत्तर - जो बीज साधारण नेत्रों से न देखा जा सके, वह बीज-सूक्ष्म हैं । वह बीजसूक्ष्म पाँच प्रकार का है, जैसे - ( १ ) श्याम बीज सूक्ष्म, (२) नीला बीज सूक्ष्म, (३) लाल बीज सूक्ष्म, (४) पीला बीज सूक्ष्म, (५) श्वेत बीज सूक्ष्म । लघु लघु कण के समान रंगवाला बीज सूक्ष्म कहा है । अर्थात् जिस रंग के अन्न के कण हो उसी रंग के बीज सूक्ष्म होते हैं । छद्मस्थ निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थनो को उन्हें बारम्बार जानना चाहिए, और प्रतिलेखना करनी चाहिए। यह बीज सूक्ष्म की व्याख्या हुई ।