Book Title: Kalpasutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Amar Jain Agam Shodh Samsthan

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Page 401
________________ परिशिष्ट [ उपकमान्तर्गत टिप्पणानि ] १. यज्जानशीलतपसामुपग्रहं च दोषाणाम् । कल्पयति निश्चये यत्तत्कल्प्यमवशेषम् । -प्रशमरति प्रकरण १४३ कल्पशब्देन साधूना-माचारोऽत्र प्रकथ्यते। -पर्युषणा कल्पसूत्रम्-केशर मुनि पृ० १ ३. (क, आचेलक्कु १ देसिय २ सिज्जायर ३ रायपिंड ४ किइकम्मे ५ । वय ६ जेट्र७ पडिक्कमणे ८ मासंह पज्जोसवणकप्पे १० । -आवश्यक नियुक्ति मलयगिरिवृत्ति मे उद्धृत ५० १२१ (ख) प० कल्याण विजय जी ने श्रमण भगवान् महावीर पृ० ३३६ मे कल्पनियुक्ति की प्रस्तुत ___गाथा उद्धृत की है। (ग) कल्पमूत्र कल्पलता, समयसुन्दर गणी गा० १.पन्ना २ मे उद्धृत (घ) कल्पसूत्र कल्पद्र म कलिका पन्ना २ में उद्धृत () कल्पसूत्रार्थ प्रबोधिनी पृ० २ (च) कल्पसूत्र, मणिसागर गा० ५ पृ० ६ मे उद्धृत (छ) प्रस्तुत गाथा दिगम्बर ग्रन्थ भगवती आराधना मे उधृत है। -पृ०१८१ गा. ४२७ (ज) निशीय भाष्य-गाथा ५६३३, भाग ४, पृ० १८७ (झ) बृहत्कल्प भाष्य-गाथा ६३६४ ४ आप्टे संस्कृत-इंग्लिश-डिक्शनरी, भाग १, पृ० १ ५. अबेल :- अल्पचेल' --आचाराग टीका, पत्र-२२१-२ ६ लघुत्वजीर्णत्वादिना खेलानि वस्त्राण्यस्येत्येवमचेलकः । -उत्तराध्ययन बृहत् वृत्ति, पत्र० ३५९१ ७. (क) श्वेतमानोपेतवस्त्रधारित्वेन अचेलकत्वमपि । -कल्पसूत्र सुबोषिका, टीका पत्र० ३, विनय वि० (ख) "अचेलत्वं" श्री आदिनाथ-महावीरसाधूनां वस्त्रं मानप्रमाणसहितं जीर्णप्रायं षवलं च कल्पते । ___ श्री अजितादिद्वाविशती तीर्थ करसाधूनां तु पञ्चवर्णम् । -कल्पसूत्र, कल्पलता पन्ना २।१ समयसुन्दर (ग) “अचेलत्वम्" मानोपेत धवलवस्त्रं धारयन्ति । -कल्पद्र म कलिका १, पृ० २०१ ८. (क) विशेषावश्यक भाष्य-भाषान्तर भाग १, पृ० १२, प्रकाशक आगमोदय समिति, आवृत्ति १, (ख) जिणकप्पिया उ दुविधा, पाणीपाता पडिम्गहवरा य । पाउरणमपाउरणा, एक्केक्का ते भवे दुविधा ।। -निशीथ भाष्य, गाथा १३६०, भा० २ पृ० १८८

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