Book Title: Kalpasutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Amar Jain Agam Shodh Samsthan
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७७. (क) महावीर चरियं, प्र० ३, ५० ६२
(ख) सेषु गायत्सु चोत्तस्थी, विष्णुरूचे च ताल्पिकम् । त्वया विसृष्टाः किं नामी सोऽप्यूचे गीतलोभतः ।।
--त्रिषष्टि० १०११३१७७ ७८. महावीर चरियं ३, ५० ६२ ७६. तिवट्ठणं वासुदेवे चउरामोइवसिसय सहस्साई सव्वाउमं पालइत्ता अप्पइट्ठाणे नरए नेरइत्ताए उववन्नो
--समवायाङ्ग ८४ समवाय ८०. (क) आवश्यक चूणि २३५
(ख) आवश्यक मलय० वृत्ति २५१ (ग) त्रिषष्टि० १०११।१८१ (घ) महावीर चरिय प्र० ३, ५० ६२
(च) उत्तर पुराण ७४।१६७।४५४ ८१. (क) आवश्यक चूणि २३५
(ख) आवश्यक मलय० २५१
(ग) त्रिषष्टि० १०।१।१८१-१८२ ८२ (क) ताहे कतिवयाई तिरयमणूसभवग्गहणाई भमिउण....। -आवश्यक चूणि पृ० २३५
(ख) जुलसोइमप्पइट्ठे सोहो नरएसु तिरअमणुएसु । -आवश्यक नियुक्ति गा० ४४८ (ग) सोऽथ तिर्य इ मनुष्यादि-भवान् बभ्राम भूरिशः । ___ लब्ध्वा च मानुषं जन्म, शुभं कर्मकदार्जयत् ॥
. -त्रिषष्टि०१०११११८३ (घ) श्रमण भगवान् महावीर प० कल्याण विजय पृ० २५३
(च) कल्प सुबोधिका टीका पृ० १७१ ८३. (क) पियमित ककवट्टी मुया विदेहाइ चुनसोइ ।
-आवश्यक नियुक्ति गा० ४४८ (ख) आवश्यक मलयगिरि वृत्ति २५१ (ग) आवश्यक चूणि पृ० २३५
(घ) त्रिषष्टि० १०।१।१८४ से १८६ ८४. नीत्या पालयतस्तस्य पृथिवी पृथिवीपते ।
एकदा पोट्टिलाचार्य उद्याने समवासरत् ।। धर्म तदन्तिके थत्वा राज्ये न्यस्य स्वमात्मजम् ।
स प्रवनाज तेपे च वर्षकोटी तपः परम् ।। -त्रिषष्टि० १०.११२१४-२१५ ८५. समवायाङ्ग सूत्र १३३ ५० ६८।१ ८६. समवायाङ्ग अभयदेव वृत्ति १३६ स० ५० ६६ ८७. (क) आवश्यक मलयगिरि वृत्ति (ख) पुट्टिल परियाउ कोडि सव्वढे ।
-आवश्यक नियुक्ति गा.४४

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