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অলিনিক্ষন
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विघ्नों को जीतकर हे देव ! तुम अपने साध्य की सिद्धि में रहो। तप से तुम राग द्वेष रूपी मल्लों का हनन करो। धैर्य रूप मजबूत कच्छ बांधकर उत्तम शुक्ल ध्यान से अष्ट कर्म शत्रुओं को मसल दो। हे वीर ! अप्रमत्त बनकर तीन लोक के रंग मण्डप में विजय पताका फहरा दो, अन्धकार रहित उत्तम प्रकाशरूप केवल ज्ञान प्राप्त करो। जिनेश्वरों द्वारा उपदिष्ट सरल मार्ग का अनुसरण कर तुम परमपद रूप मोक्ष को प्राप्त करो। परीषहों की सेना को पराजित करो। हे उत्तम क्षत्रिय ! हे क्षत्रिय नरपुङ्गव ! तुम्हारी जय हो ! विजय हो ! बहुत दिनों तक, बहुत पक्षो तक, बहुत महीनों तक, बहुत वर्षों तक, परीषहो और उपसर्गों से निर्भय होकर, भयकर और अत्यन्त भय उत्पन्न करने वाले प्रसंगो में क्षमाप्रधान होकर तुम विचरण करो। तुम्हारी धर्म साधना में विघ्न न हो" इस प्रकार कहकर वे लोग भगवान का जय जयकार करने लगे।
मल :
तए णं ममणे भगवं महावीरे नयणमालासहस्सेहिं पेच्छिज्जमाणे पेच्छिज्जमाणे वयणमालासहस्सेहिं अभिथुव्वमाणे अभिथुब्बमाणे हिययमालासहस्मेहिं ओनंदिज्जमाणे ओनंदिज्जमाणे मणोरहमालासहस्सेहिं विच्छिप्पमाणे विच्छिप्पमाणे कंतिरूवगुणेहिं पत्थिज्जमाणे पत्थिन्जमाणे अंगुलिमालामहस्सेहिं दाइज्जमाणे दाइज्जमाणे दाहिणहत्थेणं बहूणं नरनारिसहस्साणं अंजलिमालासहस्साई पडिच्छमाणे पडिच्छमाणे भवणपंतिसहस्साई समतिच्छमाणे समतिच्छमाणे तंतीतलतालतुडियगीयवाइयरवेणं महुरेण य मणहरेणं जयजयसद्दघोसमीसिएणं मंजुमंजुणा घोसेण य पडिबुझमाणे पडिबुज्झमाणे सब्विड्डीए सब्वजुईए सव्वबलेणं सब्ववाहणेणं सव्वसमुदएणं सव्वादरेणं सव्वविभूतीए सव्वविभूसाए सव्वसंभमेणं