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कल्प सूत्र
उसके छोर को ठीक करने
ब्राह्मणी उसे देखकर परम सन्तुष्ट हुई । के लिए उसने रफूगर को वह चीवर दिया । २०२ रफूगर उस अमूल्य चीवर की चमक-दमक देखकर चौंक उठा । ब्राह्मण ने उसके आश्चर्य का समाधान करते हुए सारी कहानी सुना दी। रफूगर की प्रेरणा से उत्प्रेरित होकर वह पुनः अर्ध चीवर को लेने गया। एक वर्ष और एक मास के पश्चात् वह चीवर महावीर के स्कंध से नीचे गिर पड़ा। ब्राह्मण ने लेकर उस रफूगर को दिया, उसने उसे ठीक कर दिया और एक लाख दीनार में नन्दीवर्धन को बेच दिया । ब्राह्मण जीवन भर के लिए परम सुखी बन गया ।
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• क्षमामूर्ति महावीर
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ग्राम में २०
क्षमासूर्ति महावीर उस दिन एक मुहूर्त दिन अवशेष रहने पर कुर्मार२०५ जिसका नाम वर्तमान में 'कामन छपरा' है २०६ वहाँ पधारे । गाँव के बाहर वृक्ष के नीचे नासिका के अग्रभाग पर दृष्टि केन्द्रित कर स्थाणु की तरह ध्यान में स्थिर हो गये ।
उस समय एक ग्वाला वहाँ आया । वह भगवान् के पास बैलों को छोड़कर गायों को दोहने के लिए गाँव में चला गया । क्षुधा और पिपासा से पीड़ित वे बैल चरते चरते अटवी में दूर तक चले गये। कुछ समय के पश्चात् वह ग्वाला लौटा, पर बैलो को वहाँ नही देखा, तब उसने महावीर से पूछाबतलाओ ! मेरे बैल कहाँ गए ? महावीर ध्यानस्थ थे । कुछ उत्तर नही पाकर वह आगे बढ़ गया और रात भर बैलों की जंगल में खोजबीन करता रहा । प्रातः निराश होकर पुन: लौटा और इधर वे बैल भी अटवी में से फिरते-फिरते महावीर के पास आकर बैठ गये । ग्वाले ने महावीर के पास बैलों को बैठे हुए देखा तो वह आपे से बाहर हो गया। वह रात भर घूमने से थका हुआ तो था हो, महावीर को उसने चोर समझकर मन का सारा क्रोध और कुढन उन पर निकालने के लिए बैलों को बाँधने की रस्सी से महावीर को मारने दौड़ा ।
उस समय सभा में बैठे हुए देवराज इन्द्र ने विचार किया कि देखू इस समय भगवान महावीर क्या कर रहे है ? अवधिज्ञान से ग्वाले को इस प्रकार