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१३० अर्थात् उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के योग में त्रिशला क्षत्रियाणी ने आरोग्य पूर्वक और नीरोग, स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया।
विवेचन-आचार्यों ने सभी तीर्थंकरों के गर्भकाल का उल्लेख करते हुए यह बताया है कि कौन तीर्थकर कितने काल तक माता के गर्भ में रहे । भगवान ऋषभदेव नव मास और चार दिन गर्भ में रहे। श्री अजितनाथ आठ मास और पच्चोस दिन, श्री संभवनाथ नौ मास और छह दिन श्री अभिनन्दन आठ मास और अट्ठाईस दिन, श्री सुमितनाथ नौ मास और छह दिन, श्री पद्म प्रम नौ मास और छह दिन, श्री सुपार्श्वनाथ नौ मास और उन्नीस दिन, श्री चन्द्रप्रभ नौ मास और सात दिन, श्री सुविधिनाथ आठ मास और छब्बीस दिन, श्री शीतलनाथ नौ मास और छह दिन, श्री श्रेयांसनाथ नौ मास और छह दिन, श्री वासुपूज्य आठ माह और बीस दिन, श्री विमलनाथ आठ माह और इक्कीम दिन, श्री अनन्तनाथ नौ माह और छह दिन, श्री धर्मनाथ आठ माह और छब्बीस दिन, श्री शान्तिनाथ नौ माह और छह दिन, श्री कुथुनाथ नौ माह और पांच दिन, श्री अरनाथ नौ माह और आठ दिन, श्री मल्लिनाथ नौ माह और सात दिन, श्री मुनिसुव्रत स्वामी नौ माह और आठ दिन, श्री नमिनाथ नौ माह और आठ दिन, श्री नेमिनाथ नौ माह और आठ दिन, श्री पार्श्वनाथ नौ माह और छह दिन, श्री महावीर नौ माह और सात दिन गर्भ में रहे।
भगवान महावीर के जन्म के समय सभी ग्रह उच्च स्थान मे थे। जैसे
जन्म कुण्डली mummmmmmmmmm.
राशि ग्रह अश
मेष १२ .१० मे.
वृषभ
चन्द्र मकर मंगल
सूर्य
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कन्या
मीन
२७
तुला
शनि
२०