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देखे हैं, वे अर्थ का लाभ करने वाले । भोग का लाभ करने वाले है । पुत्र का लाभ करने वाले हैं, सुख का लाभ करने वाले हैं, राज्य का लाभ करने वाले हैं । हे देवानुप्रिय ! निश्चित ही त्रिशला क्षत्रियाणी नौ मास और साढ़े सात दिन व्यतीत होने पर, तुम्हारे कुल में ध्वजा के समान, कुल में दीपक के समान, कुल में पर्वत के समान, कुल में मुकुट के समान, कुल में तिलक के समान और कुल की कीर्ति बढानेवाला, कुल को समृद्धि करने वाला, कुल के यश का विस्तार करनेवाला, कुल के आधार के समान, कुल में वृक्ष के समान, कुल की विशेष वृद्धि करनेवाला, हाथ पैर मे सुकुमार, हीनता रहित, पांच इंद्रियों लक्षणों, व्यंजनों और गुणों से युक्त, मान, उन्मान, प्रमाण से प्रतिपूर्ण, सुजात, सर्वाङ्ग-सुन्दर चन्द्र के समान, सौम्य आकृतिवाला, कान्त प्रियदर्शी और सुरूप पुत्र को जन्म देगी ।
वाला,
स्वप्न फल कथम
विवेचन – स्वप्न पाठको ने स्वप्न शास्त्र के अनुसार व्याख्या करके चौदह महास्वप्नों का पृथक्-पृथक् अर्थ भी बतलाया ।
१ चार दांत वाले हाथी को देखने से वह चार प्रकार के धर्म (साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका रूप ) का कहने वाला होगा ।
२ वृषभ को देखने से भरत क्षेत्र मे बोधि-बीज का वपन करेगा ।
३ सिंह को देखने से कामदेव आदि विकार रूप उन्मत्त हाथियो से नष्ट होते भव्यजीव रूप वन का संरक्षण करेगा ।
४ लक्ष्मी को देखने से वार्षिक दान देकर तीर्थंकर पद के अपार ऐश्वर्य का उपभोग करेगा ।
५. माला को देखने से तीन भुवन के मस्तक पर धारण करने योग्य अर्थात् त्रिलोकपूज्य होगा ।
६ चन्द्र को देखने से भव्य जीवरूप चन्द्रविकासी कमलो को विकसित करने वाला होगा, अथवा चन्द्रमा के समान शान्ति दायी क्षमाधर्म का उपदेश करेगा ।