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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer Personality and Achievements
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है । अनेकान्त के प्रथम वर्ष में प्रवेशांक के प्रथम पृष्ठ पर उन्होंने अपनी जो 'कामना" लिपिबद्ध की थी वह पाँच दोहों के कलेवर में बँधा हुआ उनका समग्र जीवन-दर्शन ही है
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परमागम का बीज जो, जैनागम का प्राण, 'अनेकान्त" सत्सूर्य सो, करो जगत-कल्याण ।
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'अनेकान्त" रवि-किरण से तम अज्ञान विनाश, मिटै मिथ्यात्त्व - कुरीति सब, हो सद्धर्म-प्रकाश । कुनय - कदाग्रह ना रहे, रहे न मिथ्याचार, तेज देख भागें सभी, दम्भी - शठ-बटमार ।
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सूख जायें दुर्गुण सकल, पोषण मिले अपार, सद्भावों का लोक में, हो विकसित संसार ।
इतिहास और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिये उनके मन में क्या वरीयता थी इसका परिचय इसी से मिलता है कि "अनेकान्त" के उस प्रवेशांक का पहला लेख मुख्तार साहब का वह सुप्रसिद्ध शोध लेख है जिसके आधार पर बाद में अनेक पुस्तकों का प्रणयन हुआ। उस लेख का शीर्षक है
'भगवान महावीर और उनका समय "। चौबीस पृष्ठों के इस आलेख में उन्होंने भगवान महावीर के जीवन-रस की विधि धाराओं को अद्भुत संतुलन और अपूर्व सामंजस्य के साथ प्रवाहित किया है जो मुख्तार जी के लेखनकौशल का स्पष्ट प्रमाण है। इस लेख में महावीर-परिचय, देशकाल की परिस्थिति, महावीर का उद्धार कार्य, वीर-शासन की विशेषताएं, महावीरसन्देश और महावीर का समय आदि अनेक उपशीर्षकों में बाँधकर उन्होंने अपने चिन्तन को सुनिश्चित आकार प्रदान किया है।
शोधन- मथन विरोध का, हुआ करे अविराम, प्रेमपगे रल-मिल सभी करें कर्म निष्काम ।
'अनेकान्त" के प्रति मुख्तार साहब की निष्ठा के बारे में हम जितना भी कहेंगे, वह थोड़ा ही होगा। उसी प्रवेशांक में महावीर संबंधी लेख के बाद