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244 Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugvoer" Personality and Achievements एक न्यायविषयक ग्रन्थ की रचना भी उनके द्वारा की गई थी। ये ग्रन्थ वर्तमान में उपलब्ध नहीं है।
जैनेन्द्रव्याकरण के द्वारा पूज्यपाद स्वामी ने उत्कृष्ट वैयाकरण के रूप में जो ख्याति अर्जित की थी उसे मुख्तार जी ने अनेक प्राचीन आचार्यों के प्रशंसावचनों को उद्धृत कर प्रमाणित किया है। जिनसेन, वादिराज, पाण्डवपुराणकर्ता शुभचन्द्र, पद्मप्रभमलधारिदेव धनज्जय, गुणनन्दी तथा ज्ञानार्णवकार शुभचन्द्र इन आचार्यों के प्रशंसावचन मुख्तार जी ने उद्धृत किये हैं। इससे स्पष्ट होता है कि प्रस्तावनालेखन में पं. जुगलकिशोर जी ने कितना परिश्रम किया था, कितने ग्रन्थों का मन्थन करने के बाद उन्होंने प्रस्तावना लिखी थी।
पं नाथूराम जी प्रेमी ने अपने एक आलेख में यह प्रतिपादित किया था कि आचार्य पूज्यपाद ने वैद्यकशास्त्र पर कोई ग्रन्थ नहीं रचा। पं.जगलकिशोर जी मुख्तार ने अनेक प्रमाण देकर प्रेमी जी के इस मत का खण्डन किया है और पूज्यपाद स्वामी को वैद्यकशास्त्र ग्रन्थ का रचयिता सिद्ध किया है। इससे पता चलता है कि मुख्तार जी की गवेषणाशक्ति कितनी उत्कट थी। वे किसी निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए कितनी छानबीन करते थे। अपनी सूक्ष्म आँखों से देखे बिना दूसरों के निश्कर्षों को सहज स्वीकार कर लेना उनकी प्रवृत्ति में नहीं था।
इसी प्रकार प्रेमी जी ने 'शब्दावतार' नामक ग्रन्थ के भी पूज्यपाद द्वारा रचित होने में सन्देह व्यक्त किया था, परन्तु मुख्तार जी ने अपनी प्रस्तावना में इस सन्देह का प्रमाणपूर्वक निरसन किया है। कृतियों और प्रशंसावचनों के आधार पर व्यक्तित्व का मूल्यांकन
शिलालेखों और ग्रन्थान्तरों में प्राप्त प्रशंसावचनों तथा पूज्यपाद के कृतिवैभव के आधार पर मुख्तार जी ने पूज्यपाद स्वामी के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया है। वे लिखते हैं -
"ऊपर के सब अवतरणों एवं उपलब्ध ग्रन्थों पर से पूज्यपाद स्वामी की चतुर्मुखी प्रतिभा का स्पष्ट पता चलता है और इस विषय में कोई सन्देह