Book Title: Jugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Shitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
Publisher: Digambar Jain Samaj

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Page 315
________________ Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer Personality and Achievements 3. तीसरे सेठ रामानन्द अपने मिल में बने वनस्पति घी पर रोक हटाने के लिए उच्चाधिकारी को 5 लाख गुप्तदान देते हैं। चौथे सेठ विनोदीराम रायबहादुर और आनरेरी मजिस्ट्रेट बनने की प्रबल इच्छा के कारण जिलाधीश के नाम पर एक अस्पताल बनवाने के लिए पांच लाख का दान देते हैं। इस अध्याय में अध्यापक इन्हीं चार दानियों और मात्र दस हजार का दान देने वाले अन्य दानियों की तुलना से ही करवाते हैं। 1. पहले सेठ दयाचन्द निज की कमाई से दस हजार रुपये निकालकर गरीब रोगियों की सेवा के लिए ओषधालय खुलवाकर उसकी व्यवस्था का आज भी पूरा ध्यान रखते हैं। सेठ ज्ञानचन्द ने गाढ़ी कमाई से 10,000 रुपये जैन सिद्धान्त ग्रंथों के उद्धार के लिए दान दिये। 3. लाला विवेकानन्द ने बेरोजगारों को रोजगार दिलवाने के लिए दस हजार रुपये दान दिये। चौथे गवर्नमेंट के पेंशन बाबू जेवाराम अपनी पेंशन से दस हजार रुपये निस्वार्थभाव से लगे समाज सेवकों को भोजनार्थ दान देते हैं। इस तरह उपर्युक्त पांच लाख रुपये देने वाले चार दानियों और दस हजार रुपये दान देने वाले चार दानियों में श्रेष्ठ कौन? इस बात को सूक्ष्म एवं पैनी दृष्टि से समझकर लेखक अनेकांत के मर्म को बखूबी स्पष्ट करते हैं कि जब अधिक द्रव्य के दानी भी अल्प द्रव्य के दानी से छोटे हो जाते हैं। द्रव्य की संख्या पर ही दान तथा दानी का छोटा बड़ा होना निर्भर नहीं है तब समान द्रव्य के दानी परस्पर में समान और एक ही दर्जे के होंगे, ऐसा कोई नियम नहीं हो सकता, वे समान भी हो सकते हैं और असमान भी। इन चारों पाठों में विद्यार्थियों की समझ की परीक्षार्थ बहुत सटीक प्रश्नावली भी दी गई है। जिनमें करीब ६२ प्रश्न है।

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