Book Title: Jugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Shitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
Publisher: Digambar Jain Samaj

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Page 373
________________ 322 Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements कल्याण करना है, न कि सासारिक कार्यों में रुचि रखना। मुख्तार जी ने अपने इस विस्तृत निबंध में सच्चे मुनियों के स्वरूप और समाज की जिम्मेदारी आदि का अच्छा विश्लेषण किया है। फिर भी समाज की स्थिति आज भी इसी तरह की बनी हुई है।' ग्यारहवें 'न्यायोचित विचारों का अभिनन्दन' निबंध में लेखक ने श्रमण (अक ४) पत्रिका में प्रकाशित मुनि न्यायविजय जी की 'नम्र विज्ञप्ति' को पढकर उसकी प्रशंसा करके जैन धर्म और संस्कृति के गौरव के प्रसार के उपायो पर चर्चा की है। बारहवें और अन्तिम एक अनुभव' निबंध में आपने जैन संदेश पत्रिका में श्रीरामजी भाई मणिकचंद दोशी सोनगढ़ के प्रकाशित निबंध हैं। प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान और आलोचना' की आलोचना की है। इस तरह युगवीर निबंधावली में सकलित ये प्रकीर्णक लेखक जैन धर्म, संस्कृति, साहित्य और समाज के स्वरूप को उच्चतम बनाये रखने में पथप्रदर्शन तो करते ही हैं, प्रेरणा और दीप स्तंभ का कार्य भी करते हैं। अतः वर्तमान सन्दर्भ में इनका अध्ययन-मनन आवश्यक है।

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