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सापेक्षवाद
पं. श्रेयांस कुमार जैन, कीरतपुर
"हे विश्वके दर्शन शास्त्रियों! अपने-अपने विचारों को लेकर आपस में क्यों विवाद करते हो यदि सापेक्षवाद सिद्धान्त को अपने जीवन में अपनाओ तो विश्व के समस्त विवाद स्वतः ही दूर हो जायेंगे।"
आज पतन के गर्त में गिरते हुए विश्व को भगवान महावीर के अनमोल सिद्धान्त के द्वारा ही बचाया जा सकता है और वह है सापेक्षवाद।
दुराग्रह या हठधमी संघर्ष की मूल जड़ है, मूल कारण है। यदि सापेक्षवाद पर दृष्टि डाली जाये यहां सभी प्रकार विचार-वैभिन्य सम्पाप्त हो जाता है। यह एक अनाग्रही दृष्टिकोण है। इसमें दुराग्रह या हठधर्मी के लिये कोई स्थान नहीं। जहाँ सापेक्षवाद न होकर दुराग्रह होगा, वही संघर्ष और द्वन्द्वका घोर गर्जन सुनाई पड़ेगा। जब भी कोई विकट समस्या उत्पन्न होती है तो उसका मूल कारण हठधर्मिता और दुराग्रह होता है, उदाहरण के तौर पर अमरीका का रवैया सी. टी बी. टी पर दस्तखत करने के लिये भारत और पाकिस्तान पर दबाव डालना है जोकि उसकी हठधर्मी और दुराग्रह का द्योतक है। भारत सी. टी. बी टी. पर तभी हस्ताक्षर करेगा जबकि विश्व बिरादरी भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्वीकार कर ले। निश्चित है कि भारत किसी दबाव में आकर सी. टी. बी. टी. पर हस्ताक्षर नहीं करेगा, इसी प्रकार पाकिस्तान का रवैया काश्मीर के प्रति दुराग्रहपूर्ण है और इसी कारण काश्मीर की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है सापेक्षवाद के अभाव में आज विश्व में त्राहि-त्राहि मच रही है।
मानव जीवन को सफल और शांतिमय बनाने के लिये जीवन के प्रत्येक विभाग में सापेक्षवाद का उपयोग करने की आवश्यकता है। अगर हम दुखी हैं तो इसका प्रमुख कारण केवल यही हो सकता है कि हम जीवन में