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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer' Personality and Achievemente
एक घंटे वेश्या नृत्य में तीन सौ रुपये, परन्तु मनीराम प जी को 30 दिन के तीस रूपये। आज भी समाज मे वैषम्य नजर आता है, क्योंकि जैन सिद्धान्त के ज्ञाता विद्वान को 30 दिन का 2-5 हजार रूपये देने का बजट बनता है, परन्तु क्रिया-काण्डी पंडित वर्ग को 5-8 दिन का 25-50 हजार दिया जाता है। वैषम्यपना से ही समाज में विद्वान नहीं क्रियाकाण्डी बढ रहे हैं। जो कि चिन्तनीय विषय है। पं जी आगे लिखते हैं -
"जैसा हम कारण मिलायेगे उससे वैसा ही कार्य उत्पन्न होगा। यदि कोई मनुष्य अपना मुख मीठा करना चाहे और कोई भी मिष्ठ पदार्थ न खाकर कड़वे से कड़वे पदार्थ का सेवन करता रहे तो कदापि उसका मुख मीठा नहीं होगा, इसी प्रकार जब हम सुखी होना चाहते हैं तो हमको सुख का कारण मिलाना चाहिए अर्थात् धर्म का आचरण करना चाहिए और न्यायमार्ग पर चलना चाहिए साथ ही अन्याय, अभक्ष्य और दुराचार का त्याग कर देना चाहिए, अन्यथा कदापि सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती। धर्ममार्ग पर चलने की प्रेरणा व धर्म का मर्म विद्वान् ही बता सकते हैं। जैनाचार्य भी यही बात कहते है -
पुण्यस्यफलमिच्छन्ति पुण्यं नेच्छन्ति मानवाः।
फलं नेच्छन्ति पापस्य पापं कुर्वन्ति यत्नतः॥ विवेक जाग्रत करने के लिए नीति ग्रन्थो व विद्वानों का सत्संग अनिवार्य है। पडित जी आगे कहते हैं -
"यदि आप वास्तव में अपना कल्याण और हित चाहते हैं और यदि आप फिर से इस भारतवर्ष को उन्नतावस्था में देखने की इच्छा रखते हैं तो कृपाकर अपने हृदयों में विवेक प्राप्ति का यत्न कीजिए, अपने धर्म ग्रन्थों तथा नीतिशास्त्रों का नियमपूर्वक अवलोकन व स्वाध्याय कीजिए और अपने बालकबालिकाओं के नियम से प्रथम धार्मिक शिक्षा दिलाइये। स्वयं दुराचार और अन्याय को त्यागकर अपनी सन्तान को सदाचारी बनाइये, न्याय मार्ग पर चलाईये, तभी आप मनुष्य जन्म की सार्थकता को पा सकते हैं।