Book Title: Jugalkishor Mukhtar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Shitalchandra Jain, Rushabhchand Jain, Shobhalal Jain
Publisher: Digambar Jain Samaj

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Page 335
________________ 284 Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements 6. डॉ. दरबारी लाल कोठिया, युक्तयनुशासन-प्रस्तावना, वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट वाराणसी 1969 7. डॉ नरेन्द्र कुमार जैन, समन्तभद्र-परिशीलन, अप्रकाशित 8. डॉ नेमिचन्द्र शास्त्री, श्री पं जुगलकिशोर जी मुख्तार - ''युगवीर कृतित्व एवं व्यक्तित्व अ भा जैन विद्वत्परिषद् सागर 1968 - कथणी कथै सों सिष्य बोलिए, वेद पढ़े सो नाती। रहणी रहै सो गुरू हमारा, हम रहता का साथी॥ जो केवल कहता फिरता है, वह शिष्य है। जो वेद का पाठ मात्र करता है, वह नाती है। जो आचरण करता है, वह हमारा गुरू है और हम उसी के साथी हैं। -गोरखनाथ (गोरखबानी, सबदी, २७१) सतगुर की महिमा अनंत, अनंत किया उपगार । लोचन अनंत उघाडि या, अनंत दिखावणहार ॥ -कबीर (कबीर ग्रन्थावली, पृ. १) सतगुर सांचा सूरि वां, सबद जू बाहा एक । लागत ही मैं मिल गया, पडू या कलेजै छे क ।। -कबीर (कबीर ग्रन्थावली, पृ.१) गूगा हूवा बाबला, बहरा हुआ कान । पाऊं थे पंगुल भया, सतगुर मार् या बान ॥ -कबीर (कबीर ग्रन्थावली, पृ. २) पीछे लागा जाइ था, लोक बेद के साथि। आर्ग थे सतगुर मिल्या, दीपक दीया हाथि। -कबीर (कबीर ग्रन्थावली, पृ.२)

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