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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements
अथवा कोई कैसा ही भय या लालच देने आवे। तो भी न्याय मार्ग से मेरा कभी न पद डिगने पावे ॥" श्री युगवीर ने जैनी कौन है में स्पष्ट किया है"नहिं आसक्त परिग्रह में जो, ईर्ष्या-द्रोह न रखता हो। न्याय-मार्ग को कभी न तजता, सुख-दुःख में सम जैनी सो।"
इससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि जैन शब्द की महिमा अनुपम है अतः हमें अच्छी तरह सोच - विचार कर उक्त सिद्धांतों और कर्तव्यों को जीवन में उतार कर दूसरों को भी इस ओर प्रेरित करना है तथा धर्म और राष्ट्र के प्रति आदर्श प्रस्तुत करना है।
कवि युगवीर ने कविता "होली है" के माध्यम से देश में हो रहे बाल विवाह, सतीप्रथा, ऊँच-नीच का भेद-भाव, दहेज प्रथा, स्वार्थान्धता, युवकयुवतियों की स्वतंत्रता और स्वैच्छाचारिता पर अकुश, सामाजिक व्यवस्था के क्षेत्र में अस्पृश्यता आदि जो प्रचलित थे उनको उजागर किया है। कवि श्री मुख्तार जी ने लिखा है।
बच्चे ब्याहें, बूढ़े ब्याह, कन्याओं की होली है। संख्या बढ़ती विधवाओं की, जिनका राम रखोली है ॥ नीति उठी, सत्कर्म उठे औ, चलती बचन बलोली है।
दुःख -दावानल फैल रहा है, तुमको हँसी ठठोली है । तथा -
बेचे, धर्म-धन खावें, ऐसी नीयत डोली है। भाव शून्य किरिया कर समझें, पाप कालिमा धोली है। ऊंच-नीच के भेद-भाव से लुटिया साम्य हुबोली है। रुढ़ि - भक्ति औ, हठधर्मी से हुआ धर्म बस डोली है।
राजाराम मोहनराय, स्वामी दयानन्द सरस्वती, विवेकानन्द, गोखले, गाँधीजी आदि ने ऊँच-नीच के भेद-भाव रुढ़िवादिता, सती प्रथा, बाल