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184 Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievernents
मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने केवल दो माह के लिये उपदेशक का वैतनिक कार्य किया और फिर मोख्तारी का प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वतंत्र रूप से दस वर्ष तक मुख्तारी करके धन और यश दोनों का अर्जन किया। आप का अधिकांश समय स्वाध्याय और अन्वेषण में व्यतीत होता था। पं. जुगलकिशोर मुख्तार "युगवीर" की साहित्य-साधना और अन्य कार्य
स्वाध्याय-तपस्वी मुख्तार साहब अपने क्रांतिकारी भाषणों और लेखन से समाज-सुधार एवं कुरीतियों और अंध-विश्वासों का निराकरणकर यथार्थ आर्ष-मार्ग का प्रदर्शन करने लगे। उनमें राष्ट्रीय-भावना इतनी प्रबल थी कि प्रतिदिन सूत कातकर ही भोजन ग्रहण करते थे। उनकी साधना निम्नलिखित रूपों में प्रतिबिम्बित हुई है
1. समन्तभद्र आश्रम या वीर सेवा मंदिर की स्थापना
21 अप्रैल 1929 में यहीं से"अनेकान्त" मासिक-पत्रिका का प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ की स्थापना के पूर्व यही एकमात्र ऐसी दिगंबर जैन संस्था थी, जो जैन वाङ्मय का इसकी स्थापना के साथ शोधपूर्ण प्रकाशन करती थी। मुख्तार साहब ने अपनी समस्त सम्पत्ति का ट्रस्ट कर दिया और उससे वीरसेवा मंदिर अपनी प्रवृत्तियों का विधिवत् संचालन करने लगा। 2. कवि "युगवीर" :
___ आपकी काव्य-रचनायें "युग-भारती" नाम से प्रकाशित हैं। इनकी सबसे प्रसिद्ध और मौलिक रचना "मेरी-भावना" एक राष्ट्रीय कविता बनकर प्रत्येक बालक के हृदय को गुंजित करती है। 3. निबंधकार :
आपके निबंधों का संग्रह "युगवीर निबंधावली" के नाम से दो खण्डों में प्रकाशित है जिसमें समाज सुधारात्मक एवं गणेषात्मक निबंध हैं। इसके अतिरिक्त आपके द्वारा प्रणीत "जैन साहित्य और इतिहास पर विशद