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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements भारतीय विशेषत: जैन वाड्मय का आलोडन कर इस क्षेत्र के उत्तर- 1 र- विद्वानों को मार्ग प्रशस्त किया। जैन इतिहास और साहित्य के पर्यवेक्षण परीक्षण और आलोचना के वे प्रतिमान हैं। इस विधा के वे ऐसे कृत-वाग्द्वार हैं जिनके द्वारा लिखित ग्रन्थ जैनाचार्यो और उनके ग्रन्थों रूपी मणियों में सूत्र प्रवेशार्थ समुत्कीर्णन का कार्य है। अर्थात् साम्प्रत कालीन सकल शोध-विकास के लिये उन्होंने मार्ग बनाया। निबिड-तमसाच्छन्न ग्रन्थ और ग्रन्थकारों के प्रकाशार्थ अपने अध्ययनपूर्ण आलेखों के दीपक जलाये कि उत्तरकालीन विद्वान् ग्रन्थ और ग्रन्थकारों की परम्परा, ऐतिह्य और उनके प्रतिपाद्य को जानने समझने में सक्षम हो सकते हैं। आलंकारिक रूप में नहीं, वे वस्तुत: इतिहास, पुरातत्व, शिलालेख और काल निर्धारण-विज्ञान के मील के पत्थर हैं, प्रकाश स्तम्भ हैं ।
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लिखित ग्रंथ
उनके द्वारा लिखित रचनाओं में युगवीर निबन्धावलि, स्वामी समन्भद्र, भवाभिनन्दी मुनि, ग्रन्थ-परीक्षा, जिनपूजाधिकार मीमांसा, जैनाचार्यों का शासन भेद, विवाह समुद्देश्य, विवाह क्षेत्र प्रकाश, उपासना तत्त्व, सिद्धि सोपान, मेरी भावना जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश ।
स्व लिखित भाष्य सहित सम्पादित ग्रन्थ हैं - स्वयंभूस्तोत्र भाष्य, युक्त्यनुशासन, रत्नकरण्ड श्रावकाचार, (समीचीन धर्म शास्त्र) देवागमआप्तमीमांसा भाष्य, अध्यात्म रहस्य भाष्य, तत्त्वानुशासन भाष्य योगसारप्राभृत भाष्य कल्याणमन्दिर स्तोत्र भाष्य तथा स्वयं के अनुसन्धान कार्य के लिये अनेक ग्रन्थों की श्लोकानुक्रमणिका तैयार की/करायी थी, उन सूचियों को अनुसन्धित्सुओं के लाभार्थ "पुरातन जैन वाक्य सूची " नाम से गवेषणापूर्ण विस्तृत प्रस्तावना के साथ प्रकाशित करायी गयीं, आपके द्वारा इन उक्त ग्रन्थों के अतिरिक्त और भी कृतियां लिखी गयी हैं। जैन गजट, जैन हितैषी व अनेकान्त का कुशल सम्पादन कर्म निर्वहन कर संस्कृति - साहित्य और समाज की अभूतपूर्व सेवा की गयी।