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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements
अमूल्य साहित्य निधि थी उसको हमने नष्ट कर दिया। यही बात है कि अनेक ग्रन्थों के नामोल्लेख के होने पर भी हमें वे प्राप्त नहीं हुए।
इस तत्वार्थ सूत्र में चूंकि तत्वार्थ का वर्णन है, इसलिए इसका तत्वार्थ सूत्र तो उपयुक्त नाम है ही। इसके अध्यायों की संख्या दस होने के कारण दस सूत्र नामोल्लेख भी मिलता है। एक जगह तत्वार्थसार सूत्र भी नामोल्लेख है जिससे यह अनुमान होता है कि यह उमास्वामी या उमास्वामी कृत तत्वार्थ सूत्र के आधार पर उसके अधिक संक्षिप्तीकरण के प्रयोजन से लिखा गया है। इसका एक और नाम जिनकल्पी सूत्र भी दिया गया है। जो बड़ा महत्वपूर्ण है इसी नाम ने भी कौशल प्रसाद जी को केशरीमल कोटा से यह ग्रन्थ प्राप्त करने उत्सुकता हुई।
ग्रन्थ के आकार की दृष्टि से देखें तो उमास्वामी महाराज के तत्वार्थसूत्र से यह प्रभाचन्द्रीय तत्वार्थ सूत्र बहुत छोटा है।
उमास्वामी के तत्वार्थसूत्र में क्रमश: ३३, ५३, ३९, ४२, ४२, २९, ३९, २६, ४७ व ९ कुल ३२७ सूत्र हैं तथा आदि अन्त में कुल ११ छन्द है । इस प्रभाचन्द्रीय सूत्र में क्रमश: १५, १२, १८, ६, ११, १४, ११, ८, ७ व ५ कुल १०७ ही सूत्र हैं, यही नहीं इसके सूत्र भी अल्पाक्षर (छोटे) हैं। कण्ठस्थ करने की दृष्टि से ये सूत्र अत्यत उपयोगी है।
उमास्वामी के तत्त्वार्थ सूत्र में जो तत्त्वार्थ वर्णन है वही क्रम इस प्रभाचन्द्रीय तत्त्वार्थ सूत्र में भी वर्णित है।
यह भी उल्लेख है कि ग्रन्थ के मंगलाचरण रूप पद्य हो सकता है। अन्त में भी कोई पद हो । अगर वह पद मिल जाय तो बहुत कुछ ग्रन्थ के इतिहास पर प्रकाश पड़ सकता है।
ग्रन्थ के मंगलाचरण में वीर प्रभु की वन्दना की गई है, क्योंकि मोक्षमार्गतत्वार्थ उन्हीं प्रभु से आविर्भूत हुआ, हमें प्राप्त है।
यह भी उल्लेख है कि उस रद्दी में श्री केशरीमल जी को प्रभाचन्द्रीय तत्वार्थ सूत्र की जो प्रति प्राप्त हुई थी तथा श्री कौशलप्रसाद जी के माध्यम से