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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements
मैत्री भाव का कोई चित् दृष्टिगोचर होता है। वैभव और प्रदर्शन की वस्तु बन कर रहे जाते हैं ये बड़े-बड़े आयोजन। आश्चर्य तब होता है जब इन आयोजनों में सहभागी - गणमान्य व्यक्ति इनकी निरर्थकता पर सवाल उठाते हुए भी सार्थकता के विषय में कभी चिन्तन मनन नहीं करते। कुछ घण्टों का यह आयोजन परस्पर प्रशंसा और वीर-वीरांगनाओं के प्रदर्शन के साथ-साथ समाप्त हो जाता है। इसे सत्संग भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि सत्संग में तो कथा श्रवण आदि होता है। परस्पर सुख-दुःख की चर्या भी हो जाती है। परन्तु इनमें तो इसका सर्वथा अभाव पाया जाता है। ये आयोजन सामाजिकता और सौहार्द बढ़ाने में सहायक हुए हों ऐसी कोई उदाहरण सामने नहीं आया।
भगवान महावीर के अनुयायी होने के कारण तो हम सभी वीर हैं पर क्या हम परम्परागत रूप में या सांस्कृतिक सामाजिक किसी भी दृष्टि से वास्तविक 'वीर' हैं यह चिन्तनीय है। 'युगवीर' जैसा सशक्त व्यक्तित्व सदियों में होता है लेकिन उसकी अनुगूंज कई शताब्दियों तक लोगों को रोमाञ्चित करती है।
संक्षेपतः मुख्तार सा. के अनेक गुण, उनकी संघर्षशीलता, नारिकेल समाहारा व्यक्तित्व, निर्भीक आगमोक्त निरुक्तियाँ, स्थापनायें, अवधारणायें आज के स्वार्थान्ध युग में प्रकाश स्तम्भ के समान हैं। यदि उनके व्यक्तित्व के अनुजीवी गुणों का अनुकरण करें तो न केवल श्रमण संस्कृति के उन्नयन में अपना सक्षम योगदान कर सकेंगे वरन् भावी पीढ़ी भी कृतज्ञता के साथ स्मरण करेगी।
कर्मठ सतत् साहित्य साधना के शक्तिपुंज युगवीर मुख्तार सा. और उनकी कालजयी दृष्टि को श्रद्धासहित नमन ।