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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugreer" Personality and Achievements
"रक्षा करें वीर सुदुर्बलों को, निःशस्त्र पै शस्त्र नहीं उठाते।
बातें सभी झूठ लगे मुझे वो, विरुद्ध दे दृश्य यहाँ दिखाई।"
मीन कहता है कि मुझे तो लगता है कि अब या तो धर्म नष्ट हो गया या सारी पृथ्वी ही वीरों से विहीन हो गई तथा सभी लोग स्वार्थ में अंधे हो रहे हैं। अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए चाहें उन्हें कैसा भी कार्य करना पड़े कर रहे हैं चाहें उसमें किसी का बुरा ही क्यों न हो"या तो विडाल - व्रत ज्यों कथा है, या यों कहो धर्म नहीं रहा है। पृथ्वी हुई वीर विहीन सारी, स्वार्थान्धता फैल रही यहाँ वा।"
कवि श्री मुख्तार जी की भाँति ही राष्ट्रकवि बालकृष्ण शर्मा "नवीन' की कविता "जगत उबारो" के प्रथम छन्द में भी विरागात्मकता, नियमउपनियम, जग आचार-विचार, लोकोपचार, ज्ञान विवेक सभी कुछ लुप्त होते हुए दिखाई देते हैं -
"धधक रहा है सब भूमण्डल भूधर खौल रहे निशि वासर, सखे,आज शोलों की बारिश नभ से होती है झर-झर कर। धन गर्जन से भी प्रचण्डतर शतनियों का गर्जन भीषण घर्षण करता है मानव हिय जग में मचा घोर संघर्षण ॥"
कवि "नवीन" ने इससे मुक्ति पाने के लिए प्राणियों से वीरता से भरकर अनाचार को समाप्त करने को कहा है तथा मानवोचित गुणों की प्राप्ति की और संकेत किया है -
"एक ओर कायरता कापे, गतानुगति, विगलित हो जाये। अंध मूक विचारों की वह अचल शिला विचलित हो जाये। और दूसरी ओर कंपा देने वाला गर्जन उठ जाये,
अन्तरिक्ष में एक उसी नाशक तर्जन की ध्वनि मंडराये।" तथा -