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पं जुगलकिशोर मुख्तार "युगवीर" व्यक्तित्व एवं कृतित्व
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नारी अपने कर्तव्य के प्रति जागरुक रहकर अक्षुण्य गौरव का परिचय देती
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'क्या-क्या सुनाये तुम्हें, दर्द वतन कहानियाँ । जिन्दा चिता में जल गई, चौदह हजार रानियाँ ॥"
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वर्षों से पुरुष के शोषण, उत्पीड़ने, अन्याय, अत्याचार की शिकार बनी नारी, जब सौभाग्य विहीन हो जाती है, तो उसके ऊपर होने वाले अत्याचारों की पराकाष्ठा और अधिक प्राबल्य ग्रहण कर लेती है। विधवा सम्बोधन द्वारा 'युग भारती' में लिखा है -
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"माना हमने हुआ हो रहा, तुम पर अत्याचार बड़ा । साथ तुम्हारे पंच जनों का होता है व्यवहार कड़ा ॥ पर तुमने इसके विरोध में, किया न जब प्रतिरोध खड़ा। तब क्या स्वत्व भुलाकर तुमने किया नहीं अपराध बड़ा ॥"
प्रसिद्ध कवि जयशंकर प्रसाद जी ने भी लिखा है
अबला जीवन हाय, तुम्हारी यही कहानी । आँचल में हैं दूध, आँखों में पानी ॥
परन्तु वर्तमान नारी पुरुष से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है। सतीत्व, लज्जा ही स्त्रियों का श्रृंगार है।
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"जग जीवन पीछे रह जावे । यदि नारी न दे पावे स्फूर्ति । इतिहास अधूरे रह जाये । यदि नारी न कर पावे पूर्ति ॥ नारी में अति उज्जवल सतीत्व । उज्जवल सतीत्व में महातेज ॥
इस महातेजमय दीपक से ।
नारी रखती है सहज स्नेह ॥"