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पं जुगलकिसोर मुख्तार "मुगवीर" व्यक्तित्व एवं कृतित्व
"इससे बेहतर खुशी-खुशी, तुम बध्य भूमि को जा करके। वधक छुरी के नीचे रख दो, निज सिर स्वयं झुका करके। आह भरो उस दम यह कहकर, हो कोई नया अवतार। महावीर के सदृश जगत में, फैलावे सर्वत्र दया॥१॥" कबीरदास जी ने भी लिखा है -
बकरी पाती खात है, ताकी काडी खाल।
जो नर बकरी खात है, ताको कौन हवाल॥ वास्तव में पं जुगलकिशोर मुख्तार आज भले ही इस धरा पर विराजमान नहीं है, पर साहित्य-साधना की ऐसी मिसाल कायम कर गये, जो विद्वत समाज को सदैव ज्ञान-रूपी रोशनी का पुहुप विकीर्ण करती रहेगी।
मैं पुनः उपाध्याय श्री ज्ञान-सागर जी महाराज के चरणों में नमन करती हुई, यह कहना चाहूँगी।
"सन्तों का त्याग अनोखा है , देखो तो इनकी काया को। सांसारिक सभी भोग तजकर ठोकर मारी इस माया को ॥ पशुओं तक को सुर पदवी दी, इनके ही पावन मंत्रों से। आध्यात्मिकता कायम रखी, अब तक ही ऐसे सन्तों ने॥"
नमोस्तु - जयजिनेन्द्र