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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements
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मेरी भावना का वैशिष्ट्य 1. मौलिक रचना
"मेरी भावना" कवि श्री युगवीर की सबसे प्रसिद्ध, मौलिक एवं रससिद्धि (मास्टर पीस) रचना है। यह एक राष्ट्रीय कविता है। यदि आचार्य युगवीर की अन्य कविताओं को हम दृष्टि ओझल भी कर दें तो भी वे केवल "मेरी भावना" के कारण उसी प्रकार अमर रहेंगे जिस प्रकार "उसने कहा था, कहानी लिखकर श्री चन्द्रधर शर्मा गुलेरी, आत्म कीर्तिन लिखकर श्री सहजानन्दजी वर्णी, बन्देमातरम् लिखकर श्री वंक्रिम चन्द्र चटर्जी एव "जनगणमन" लिखकर श्री रवीन्द्रनाथ टैगौर अमर हो गये हैं। "कवि युगवीर" की यह राष्ट्रीय कविता तब तक जन-जन के कंठ में गूंजती रहेगी जब तक भारत राष्ट्र अपना अस्तित्व बनाये रखेगा।" 2. "मेरी भावना" का आकार -
मेरी भावना में कुल 11 पद हैं। ग्यारह की संख्या को भारतीय संस्कृति में शुभंकर स्वीकार किया गया है। मेरी ऐसी दृढ़ धारणा है कि जो भी व्यक्ति मेरी भावना को अन्तश्चेतना से धारण करेगा/पढ़ेगा/आचरण करेगा उसका कल्याण सुनिश्चित है।
"मेरी भावना" में कुल चवालीस पंक्तियां हैं। प्रथम चार पंक्तियाँ, जो सच्चे देव का स्वरूप वर्णित करती है, मंगलाचरण जैसी हैं। शेष पंक्तियाँ रही चालीस । विभिन्न भक्तों ने अपने-अपने आराध्य की भक्ति में चालीस पंक्तियों वाले "चालीसा" रचे हैं। जैसे- हनुमान-चालीसा, महावीर-चालीसा, पार्श्वनाथ-चालीसा आदि। मेरी दृष्टि में "मेरी भावना" एक अर्न्तराष्ट्रीय चालीसा है, जो राष्ट्र, जाति, सम्प्रदाय, पंथ, वर्ग और वर्ण भेद से रहित है तथा सदा सबके द्वारा, समान रुप से पठनीय है।
"इसमें सन्देह नहीं कि कवि का यह छोटा-सा काव्य मानव जीवन के लिए ऐसा"रत्न-दीप" है जिसका प्रकाश सदा अक्षुण्ण बना रहेगा। मेरी भावना एक छोटी सी "रत्न मंजूषा" है जिसमें कवि ने अनेक आर्य ग्रन्थों का