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पं जुगलकिसोर मुखलार "युगवीर" व्यक्तित्व एवं कृतित्व 16. वही 17. वही 18. वही 19. वही 20. मेरी भावना - प्रकाशक जैन समाज रेवाड़ी 21. निबन्ध क्या लिखू! पदुमलाल शुभालाल बक्शी 22. मेरी भावना - प्रकाशक जैन समाज, रेवाड़ी 23. क्रमांक एक के अनुसार 24 वही 25 साहित्य समाज का दर्पण है - पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी 26. अभिज्ञान शाकुन्तलम - कालिदास 27 पंडितराज जगनाथ, रसगंगाधर 28. मेरी भावना - प्रकाशक जैन समाज रेवाड़ी 29 श्री पं जुगल किशोर मुख्तार "युगवीर" व्यक्तित्व और कृतित्व 30. मेरी भावना, प्रकाशक जैन समाज रेवाड़ी 31. वही 32. आचार्य दण्डी 33 मेरी भावना - प्रकाशक जैन समाज रेवाड़ी
अभिगमनीयाश्च गुणाः सर्वस्य। सबके गुण अनुसरण के योग्य होते हैं।
-बाणभट्ट (हर्षचरित, पृ. २३३) गुणवत्कु लजातोऽपि निर्गुणः केन पूण्यते । दोग्धीकुलोद्भवा धेनुर्वन्ध्या कस्योपयुण्यते । गुणवान कुल में उत्पन्न होकर भी यदि कोई स्वयं गुणहीन है, तो वह पूजा का पात्र नहीं हो सकता, जैसे दुधारी गाय से उत्पन्न होने पर भी यदि गौ वन्ध्या है तो उसका उपयोग कौन करेगा?
-क्षेमेन्द्र (दर्पदलन, १॥१३)
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